Lawrence Bishnoi: आज हम आपको बता रहे हैं लॉरेंस बिश्नोई कैसे गैंगस्टर्स का मसीहा बन गया और क्या है लॉरेंस बिश्नोई के विदेशी नंबरों की पूरी कहानी.
- लॉरेंस बिश्नोई के पूरे नेटवर्क कहानी
- लॉरेंस का पारिवारिक नेटवर्क भी काफी स्ट्रॉन्ग है
- छोटे अपराधों से लॉरेंस ने ली क्राइम की दुनिया में एंट्री
Lawrence Bishnoi Story: उत्तर भारत में गन कल्चर को बढ़ावा देकर गैंग लैंड बनाने वालों में सबसे बड़ा नाम गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का है. लॉरेंस इतना ज्यादा फूलप्रूफ तरीके से यह काम कर रहा है कि उसके खिलाफ सबूतों को ढूंढने में जांच अधिकारियों को एक लंबा वक्त लग जाता है. उसका नेटवर्क इतना मजबूत है कि वो जेल के अंदर बैठ-बैठे ही बड़े कारनामो को अंजाम दे देता है. आज हम लॉरेंस के नेटवर्क के पीछे के रहस्य से पर्दा उठाने जा रहे है और आपको बताएंगे की किस तरह लॉरेंस ने अपना नेटवर्क इतना स्ट्रांग किया और उसने कैसे बिना किसी मशक्कत के अपना इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया. यह पूरी पुख्ता जानकारी हमें हमारे सूत्रों के माध्यम से मिली है, जिन्होंने लॉरेंस से पूछताछ कर हमें गैंगस्टर के पूरे नेटवर्क कहानी बताई है.
काफी शातिर अपराधी है लॉरेंस बिश्नोई
लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) से पूछताछ करने वाले आधिकारिक सूत्रों ने हमें बताया कि लॉरेंस के पास इतनी ज्यादा दौलत है कि वो जेल के अंदर जो कपड़े और जूते पहनता है उनकी कीमत लाखों में है. उसे पता है कि पैसे के माध्यम से ही वह क्राइम की दुनिया का बादशाह बन सकता है.
लॉरेंस का पारिवारिक नेटवर्क भी काफी स्ट्रॉन्ग है, जो राजनैतिक और पुलिस तंत्र के कई बड़े लोगों से जुड़ा हुआ है. लॉरेंस काफी शातिर अपराधी है इसलिए वो जो भी काम करता है उसके सबूत मिटाता है और वो यह सारे काम इनडायरेक्ट स्पीच में करता है.
क्राइम की दुनिया में कैसे हुई लॉरेंस बिश्नोई की एंट्री
लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) ने चंडीगढ़ में छोटी-मोटी लड़ाइयां करके और इक्का-दुक्का जगहों पर गोलियां चलाकर क्राइम की दुनिया में अपनी पहचान बनाई. शुरुआत में लॉरेंस चंडीगढ़ के क्लबों में जाकर बाउंसर और मालिकों धमाकर वह अपना नाम बनाने लगा. उसके बाद जब वह आपराधिक गतिविधियों के सिलसिले में उत्तर भारत के जेलों में गया तो उसने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना डर अलग-अलग क्षेत्रों में कायम करना शुरू किया. सबसे पहला काम उसने किया कि 2 मोबाइल नंबर थाईलैंड और मलेशिया से मंगवाए और उन नंबरों का स्कूल, कॉलेज, डांस क्लबों उन सभी जगहों उसका प्रचार करवाया.
फिर सोशल मीडिया पर बढ़ने लगी फैन फॉलोइंग
लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) के क्राइम के किस्से सुनने के बाद उसके सोशल मीडिया पेज पर युवाओं की फैन फॉलोइंग बढ़ने लगी. इसके बाद उसकी टीम चुनिंदा युवकों को लॉरेंस के पर्सनल नंबर भेजने शुरू कर दिए. ये वहीं नंबर थे, जो विदेशों से मंगवाए गए थे. इस पर वो भाई-भाई के मैसेजेस भेजकर लॉरेंस से जुड़ने की बातें लिखते थे. लॉरेंस कुछ दिनों बाद अपने लोगों को बोलकर इन युवकों को पिस्तौल और 6-7 गोलियां दिलवा देता था.इसके बाद कुछ दिन ये युवा अपने स्कूलों और कॉलजों में इस गन का जलवा दिखाकर खूब मस्ती करते थे और कई जगह हवा में फायरिंग करते थे.
जब गोलियां खत्म हो जाती तो ये लोग फिर से गोलियां लेने के लिए मैसेज भेजने लगते थे, लेकिन इस बार हथियारों और गोलियों की कीमत होती थी और कीमत यह होती थी कि लॉरेंस के कहे अनुसार किसी की गाड़ी या उसके घर के बाहर हवा में गोलियां चालाना है. अब अगर इनके चहरे की पहचान भी हो जाए तो यह पकड़े नहीं जाते, क्योंकि इनका जुर्म की दुनिया में रिकॉर्ड ही नहीं होता था और ये नाबालिग धीरे-धीरे जुर्म की दुनिया में पहुंच जाते थे.
यह जो भी कांड करते, उसमें नाम लॉरेंस का होता था और कहा जाता था कि ये लॉरेंस के शूटर्स हैं, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया है. लेकिन, अगर यह युवक पकड़े भी जाएं तो भी लॉरेंस के खिलाफ सबूत ही नहीं जुटते, क्योंकि लॉरेंस ने न तो इनको कभी देखा और न ही लॉरेंस को इन लोगों देखा. इतना ही नहीं लॉरेंस और उनकी कभी बात भी नहीं होती
लॉरेंस कहां से मंगवाता था हथियार
हथियार मंगाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) किसी से मिलता नहीं था. उसके विदेशी नंबरों पर किसी ना किसी हथियार सप्लायर खुद संपर्क करता था और बिना मिले ही हथियार सप्लाई कर देता था. लॉरेंस इन नंबरों के जरिए संपर्क में आए युवकों और हथियार सप्लायर्स की मुलाकात कराता था. इसके बाद दोनों को एक निर्धारित स्थान पर बुलाकर हथियार की डिलीवरी कराई जाती थी. फिर नाबालिग युवक हथियारों की कंसाइनमेंट एक जगह पर रख कर चले जाते थे और लॉरेंस के असली गुर्गे उसे वहां से उठा ले जाते. तो इस तरह न तो लॉरेंस इन शूटर्स के डायरेक्ट संपर्क में आया और न ही हथियार सप्पलायर के संपर्क में आया.
लॉरेंस ने पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी यूपी, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों के गांव-गांव में उसने अपना नेटवर्क खड़ा किया है, जहां वह हथियारों को रखता है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी यूपी, मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में जुर्म की दुनिया में छोटी उम्र में बड़ा कारनामा करने वालों पर लॉरेंस की खास नजर रहती थी.
नाबालिगों को मुफ्त में हथियार पकड़ा कर उनसे छोटे-मोटे अपराध करवाता था, जिससे उनकी ट्रेनिंग अपने आप हो जाती थी और वह पकड़े भी नहीं जाते, क्योंकि अपराध की दुनिया में वो नए होते थे और उनकी जानकारी पुलिस के पास नहीं होती. इसका भी पता नहीं चल पाता था कि किसके कहने पर यह अपराध किया और साथ ही धीरे-धीरे वो अपने हैंडलर्स से पुलिस से बचने के गुर्र भी सिख लेते थे.
लॉरेंस बिश्नोई कैसे बना गैंगस्टर्स का मसीहा
जुर्म की दुनिया में छोटी उम्र में बड़ा कारनामा करने वालों को बड़ी चतुराई से लॉरेंस के संपर्क में लाया जाता और संपर्क आते ही उन्हें लगता कि लॉरेंस इस दुनिया का बादशाह है, क्योंकि पुलिस और एजेंसियां मिलकर भी उसका आजतक कुछ नहीं बिगाड़ पाईं. इसके बाद लॉरेंस को ही वो अपना मसीहा मान लेते और उसके गुर्गों के कहने पर कुछ भी करने को तैयार हो जाते.
कोड में होती थी बातचीत
आधिकारिक सूत्र बताते हैं की यह सारा काम कोड लैंग्वेज में सोशल मीडिया के माध्यम से होता है और एक दूसरे से संपर्क के लिए सिग्नल, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और फेसबुक का इस्तेमाल किया जाता है. बातचीत भी कोड से शुरू होती थी, जैसे टेलीग्राम पर बात करना सेफ है कि नहीं, इसके लिए कोड जेनरेट होता. जैसे काल्पनिक नाम संपत ने मीतू को (..) दो डॉट भेजे तो सामने से 3 डॉट (…) आने चाहिए. अगर 2 या 4 डॉट आए तो इसका मतलब है कि बात करना अभी सेफ नहीं है. इसके अलावा, बातचीत के लिए वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) की मदद ली जाती थी. VoIP कॉल को ट्रैस करना मुश्किल होता है, क्योंकि आईपी एड्रेस लगातार चेंज होता रहता है.
लॉरेंस बिश्नोई के साथ कौन-कौन शामिल
गोल्डी बरार और काला राणा उर्फ वीरेंद्र प्रताप को लॉरेंस बिश्नोई के दो मजबूत हाथ माना जाता था. गोल्डी फिलहाल कनाडा में है, जबकि राणा पुलिस की गिरफ्त में है. काला राणा जब इंटरपोल की मदद से भारतीय एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था तो बिश्नोई को काफी गहरा सदमा लगा था. राणा के जेल में होने के बाद लॉरेंस फिलहाल गोल्डी बरार पर ज्यादा निर्भर हो गया है. बिश्नोई के आदेश पर गिरोह को हथियार मुहैया कराने का काम उसी का है. सूत्रों के मुताबिक, लॉरेंस के गिरोह में मुख्य रूप से उसका भाई अनमोल, संपत नकेरा, टीनू करियाणा, आशीष बिश्नोई, दिनेश बिश्नोई और अमित बवाना शामिल हैं, लेकिन इन सब में गोल्डी बरार ही सारी चीजों को लीड कर रहा है.