आईसीआईसीआई बैंक ने एमसीएलआर में वृद्धि कर दी है. बैंक ने इसे 0.15 फीसदी बढ़ाया है. बता दें कि इससे कई अन्य ऋणदाता हाल के दिनों में अपना कर्ज महंगा कर चुके हैं. ऐसा एमपीसी द्वारा रेपो रेट में वृद्धि के अनुमाने के बीच किया जा रहा है.
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नई दिल्ली. आईसीआईसीआई बैंक ने नया महीना शुरू होते ही अपने ग्राहकों को झटका दिया है. बैंक ने सोमवार को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) कर्ज पर लगने वाली ब्याज दर 0.15 प्रतिशत बढ़ा दी. आपको बता दें कि बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी बैठक से पहले यह बढ़ोतरी की है.
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में नीतिगत दरों (रेपो रेट) 25-35 बेसिस पॉइंट बढ़ाए जाने का अनुमान है. इसी को देखते हुए बैंक व अन्य ऋण देने वाले संस्थान पहले से ही ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं. बैंक के इस कदम से ग्राहकों के लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी और उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. बढ़ी हुई दरें 1 अगस्त से लागू हो गई हैं. आइए देखते हैं बैंक द्वारा एमसीएलआर बढ़ाए जाने के बाद ब्याज की नई दरें क्या हैं.
बैंक के नए रेट्स
एक दिन (ओवरनाइट) के लोन के लिए नई ब्याज 7.65 फीसदी होगी. इसके बाद 1 महीने, 3 महीने और 6 महीने के लिए ब्याज दर बढ़कर क्रमश: 7.65, 7.70 और 7.85 फीसदी हो गई है. वहीं, एक साल के लोन के लिए ब्याज दर बढ़कर 7.90 फीसदी हो गई है. गौरतलब है कि 1 साल की अवधि वाला लोन खुदरा ऋण बाजार में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि लंबी अवधि के लोन इसी दर पर आधारित होते हैं.
कई ऋणदाताओं ने बढ़ाई ब्याज दरें
आईसीआईसीआई के अलावा पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपनी विभिन्न अवधि के लोन की ब्याज दर में 10 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की है. पीएनबी की नई दरें भी आज से लागू हो गई हैं. हालांकि, होम लोन वालों के लिए ब्याज की नई दरें रीसेट डेट के बाद ही लागू होंगी. इसके अलावा होम लोन देने वाले एचडीएफसी लिमिटेड ने ब्याज दर में 0.25 फीसदी का इजाफा किया था. वहीं, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड ने भी आवास ऋण और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) कर्ज पर ब्याज दर 0.25 प्रतिशत बढ़ायी थी.
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एमपीसी की बैठक
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक इसी हफ्ते होनी है. महंगाई को काबू करने के लिए एमपीसी एक बार फिर रेपो रेट में वृद्धि कर सकती है. इससे पहले मई और जून में लगातार 2 महीने एमपीसी रेपो रेट में वृद्धि करते हुए इसे 4.90 फीसदी पर पहुंचा दिया था. हालांकि, जानकारों का कहना है कि यह अब भी कोविड-19 पूर्व के स्तर से कम हैं और इसमें आगे इजाफा देखने को मिल सकता है. अगर ऐसा होता है तो आम आदमी की जेब पर ईएमआई का लोन बढ़ता जाएगा.