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कोविशील्ड, कोवैक्सीन लेने वाले वयस्कों को अब लगेगी कॉर्बेवैक्स की बूस्टर डोज़, सरकार ने दी मंजूरी : सूत्र

Corbevax booster shot : केंद्र सरकार ने कॉर्बेवैक्स बूस्टर डोज को इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है. सूत्रों के मुताबिक बायोलाजिकल ई की ओर से विकसित कॉर्बेवैक्स टीके को बतौर एहतियाती खुराक 18 वर्ष से अधिक आयु के उन लोगों के लिए अनुमति दे दी है, जिन्होंने पहली दो खुराक कोविशील्ड या कोवैक्सीन की ली हैं.

नई दिल्ली. बायलॉजिक ई कंपनी की कॉर्बेवैक्स बूस्टर डोज को सरकार ने मंजूरी दे दी है. यह बूस्टर डोज 18 साल से ऊपर के वयस्कों को दी जाएगी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बायोलाजिकल ई की ओर से विकसित कॉर्बेवैक्स टीके को बतौर एहतियाती खुराक 18 वर्ष से अधिक आयु के उन लोगों के लिए अनुमति दे दी है, जिन्होंने पहली दो खुराक कोविशील्ड या कोवैक्सीन की ली है. सूत्रों ने बताया कि यह अनुमति टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह द्वारा पिछले सप्ताह की गई अनुशंसा पर आधारित है.

कॉर्बेवैक्स देश का पहला टीका है जो पहली और दूसरी खुराक के तौर पर दिए गए टीके से अलग बतौर एहतियाती खुराक दिया जाएगा. यानी जिस व्यक्ति ने कोवैक्सीन या कोविशील्ड में से कोई भी टीका लिया है वह कॉर्बेवैक्स की बूस्टर डोज को लगवा सकता है. गौरतलब है कि भारत के पहले स्वदेशी आरबीडी प्रोटीन सबयूनिट टीका कॉर्बेवैक्स का इस्तेमाल मौजूदा समय में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 12 से 14 वर्ष आयु के बच्चों को लगाने के लिए किया जा रहा है. गौरतलब है कि भारत के औषधि महानियंत्रक (जीसीजीआई) ने चार जून को तीसरी खुराक के तौर पर कॉर्बेवैक्स को 18 या इससे अधिक आयु के लोगों को लगाने की अनुमति दी थी.

कोविड-19 कार्य समूह ने 20 जुलाई की बैठक में तीसरे चरण के आंकड़ों की समीक्षा की. इसमें 18 से 80 वर्ष आयु के कोविड-19 नेगेटिव ऐसे लोगों को जिन्होंने पहली दो खुराक कोविशील्ड या कोवैक्सीन की ली थीं, कॉर्बेवैक्स टीका तीसरी खुराक के तौर पर दिए जाने के बाद उनकी प्रतिरोधक क्षमता पर होने वाले असर का आकलन किया गया था. सूत्रों ने बताया, आंकड़ों का परीक्षण करने के बाद सीडब्ल्यूजी ने पाया कि पहली और दूसरी खुराक के तौर पर कोवैक्सीन या कोविशील्ड लेने वालों को कॉर्बेवैक्स तीसरी खुराक के तौर पर दिया जा सकता है, जो उल्लेखनीय स्तर पर एंटीबॉडी (वायरस से लड़ने के लिए) पैदा करता है और तटस्थ आंकड़ों के मुताबिक संभवत: रक्षात्मक भी है.

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