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करोड़ों बुजुर्गों के लिए वरदान बनेगा रतन टाटा का ये कदम, सीनियर सिटीजन की मदद करने वाले स्‍टार्टअप में किया निवेश

देश में करोड़ों ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनका परिवार या तो नहीं है अथवा विदेश में रहता है. ऐसे बुजुर्गों की मदद करने और उनके अकेलेपन को बांटने के लिए 25 वर्षीय युवक ने स्‍टार्टअप शुरू किया है. यह आइडिया रतन टाटा को इतना अच्‍छा लगा कि उन्‍होंने स्‍टार्टअप में निवेश करने का मन बना लिया है.

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नई दिल्‍ली. दिग्‍गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) अब 84 वर्ष के हो चले हैं और उन्‍हें बुजुर्गों के अकेलेपन और दर्द का बखूबी एहसास है. देश के करोड़ों बुजुर्गों के इस खालीपन को भरने के लिए उन्‍होंने बड़ा कदम उठाया है. रतन टाटा ने एक ऐसे छोटे से स्‍टार्टअप में निवेश किया है, जो अकेलेपन का दर्द झेल रहे बुजुर्गों की मदद करता है.

स्‍टार्टअप गुडफेलोज (Goodfellows) के लांचिंग मौके पर रतन टाटा ने कहा, जब तक आप खुद अकेले समय बिताने को मजबूर नहीं होते, आपको यह एहसास नहीं हो पाता कि अकेलापन कितना बुरा होता है. बुढ़ापे में ध्‍यान रखने वाले साथी का होना एक चुनौती है और जब तक आप खुद बूढ़े नहीं होते, उनके दर्द का पता नहीं चलता. उन्‍होंने इस स्‍टार्टअप को शुरू करने के युवा उद्यमी की सराहना भी की. एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 1.5 करोड़ बुजुर्ग ऐसे हैं जो अकेले रहते हैं. उनका परिवार या तो नहीं है अथवा विदेश में रहता है.

कौन हैं स्‍टार्टअप शुरू करने वाले शांतनु
Goodfellows स्‍टार्टप की शुरुआत करने वाले शांतनु नायडु अभी सिर्फ 25 साल के हैं और वे टाटा की कंपनी में जनरल मैनेजर हैं. कॉरनेल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले शांतनु ने कहा कि वे इसकी सेवाएं पूरे देश में शुरू करना चाहते हैं, लेकिन इसकी गुणवत्‍ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. उन्‍होंने टाटा को बॉस, मार्गदर्शक और दोस्‍त बताया. उन्‍होंने कहा कि इस स्‍टार्टअप का आइडिया भी रतन टाटा को देखकर ही आया जो उनसे करीब पांच दशक से ज्‍यादा बड़े हैं.

इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने वाले शांतनु ने इससे पहले स्‍ट्रीट डॉग्‍स के लिए भी एक स्‍टार्टअप बनाया था. मोटापॉस नाम का यह स्‍टार्टअप आवारा कुत्‍तों के गले में एक कॉलर बांधने को लेकर मदद करता है, जिससे उनकी निगरानी करना आसान हो जाता है.

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किस तरह की मदद करेगा स्‍टार्टअप
Goodfellows स्‍टार्टअप में सेवाएं देने के लिए ऐसे युवाओं को भर्ती किया जा रहा है, जो बुजुर्गों के इमोशन को समझ सकें और उनके साथ समय बिताने के साथ छोटे-मोटे काम में मदद कर सकें. इस स्‍टार्टअप का काम बुजुर्गों के साथ कैरम खेलना, उनके साथ अखबार पढ़ना, बाहर घूमने जाना और आराम करने में उनकी मदद करना होगा. इसमें नौकरी करने वालों को अच्‍छा वेतन भी दिया जाएगा, लेकिन इसकी भर्ती प्रक्रिया काफी संवेदनशील होती है. सब्‍सक्रिप्‍शन आधारित यह सेवा फिलहाल मुंबई में उपलब्‍ध है, जिसे जल्‍द ही बंगलूरू सहित अन्‍य शहरों में भी शुरू किया जाएगा.

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