Stroke Risk Factors: आज के दौर में कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक की समस्या देखी जा रही है. स्ट्रोक की वजह से कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है. अब इसे लेकर एक नई स्टडी सामने आई है.
Blood Type And Risk Of Stroke: युवाओं में स्ट्रोक का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है, जिसमें व्यक्ति के ब्रेन में ब्लड की सप्लाई अचानक बाधित हो जाती है. ब्लड की सप्लाई बाधित होने पर ब्रेन की सेल्स डैमेज हो जाती हैं. अधिकतर मामलों में स्ट्रोक की वजह से आधा शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है. कुछ मामलों में इससे व्यक्ति की मौत भी हो जाती है. स्ट्रोक आने के 4-5 घंटे के अंदर ट्रीटमेंट शुरू हो जाए तो इसे रिवर्स किया जा सकता है. हार्ट डिजीज या डायबिटीज वाले लोगों को स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है. अब एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें पता चला है कि A ब्लड ग्रुप वालों को स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है. स्टडी में कई चौंकाने वाली बातें कही गई हैं. इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं.
समझें ब्लड ग्रुप और स्ट्रोक का कनेक्शन
मेडिकल न्यूज़ टुडे के मुताबिक, एक हालिया स्टडी में कहा गया है कि A ब्लड टाइप वाले लोगों को 60 साल की उम्र से पहले स्ट्रोक का खतरा O ब्लड टाइप वाले लोगों की अपेक्षा ज्यादा होता है. ए ब्लड टाइप वाले लोगों में ब्लड क्लॉट बनने का रिस्क होता है, जिसकी वजह से स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है. स्टडी में यह भी कहा गया है कि लोग अपना ब्लड प्रेशर और हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाकर इस खतरे को कम कर सकते हैं. यह दो ऐसे ब्लड टाइप हैं, जिनका स्ट्रोक से लिंक होता है. इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अन्य ब्लड ग्रुप वालों को स्ट्रोक नहीं होता. किसी भी ब्लड टाइप वाले व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है.
इस ब्लड ग्रुप के सबसे ज्यादा मरीज?
इस स्टडी में एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि स्ट्रोक का शिकार होने वाले लोगों में बड़ी संख्या B ब्लड टाइप वाले लोगों की है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ब्लड टाइप की वजह से उन्हें स्ट्रोक आया हो. इसकी कई वजह हो सकती हैं, जो व्यक्ति की कंडीशन पर डिपेंड करती हैं. ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि यहां सभी बातें आइसेमिक स्ट्रोक (ischemic stroke) वाले मामलों पर लागू होती हैं. यह कम उम्र में होने वाला सबसे कॉमन स्ट्रोक माना जाता है.
ऐसे कम करें स्ट्रोक का जोखिम
स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए आप हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज मेलिटस, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल रखने की कोशिश करें. इसके अलावा स्मोकिंग बिल्कुल छोड़ दें. मोटापा कम करने से स्ट्रोक का जोखिम कम हो सकता है. इसके अलावा हेल्दी डाइट और नियमित रूप से व्यायाम कर सकते हैं. लाइफस्टाइल में ज़रूरी बदलाव लाकर भी इस खतरे को कई गुना कम किया जा सकता है. किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. हमेशा ध्यान रखें कि स्ट्रोक के बाद अगर शुरुआती कुछ घंटों में इलाज मिल जाए तो इसे पूरी तरह रिवर्स किया जा सकता है.