NPS pension rules: इंश्योरेंस रेगुलेटर ITRDAI ने सीनियर सिटीजन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एनपीएस पेंशनर्स के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की सर्विस शुरू कर दी है. पेंशनर्स अब जीवन प्रमाण की मदद से ऑनलाइन लाइफ सर्टिफिकेट जमा कर सकते हैं.
NPS Subscribers: अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम के सब्सक्राइबर्स हैं तो आपके लिए यह बड़ी राहत की खबर है. इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने आज एक सर्कुलर जारी किया है जिसके मुताबिक, एनपीएस पेंशनर्स अब ऑनलाइन लाइफ सर्टिफिकेट जमा कर सकते हैं. इस सर्कुलर में कहा गया है कि इंश्योरेंस कंपनियों को यह निर्देशित किया जाता है कि वे लाइफ सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए आधार आधारित प्रमाणीकरण जैसे Jeevan Pramaan को स्वीकार करें. जीवन प्रमाण भारत सरकार की तरफ से संचालित प्रोग्राम है जिसे पेंशनर्स की सुविधा को ध्यान में रखते हुए साल 2014 में शुरू किया गया. यह पेंशनर्स के लिए बायोमिट्रिक इनेबल्ड डिजिटल सर्विस है.
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अलग से प्रपोजल फॉर्म भरना जरूरी नहीं
इसके अलावा एनपीएस सब्सक्राइबर्स के लिए अलग से प्रपोजल फॉर्म भरना भी अनिवार्य नहीं रह गया है. रिटायरमेंट के समय जो एग्जिट फॉर्म जमा किया जाएगा, उसे ही प्रपोजल फॉर्म माना जाएगा. इससे रिटायर होने के बाद पेंशनर्स को भागम-भाग की परेशानी नहीं होगी. IRDAI सर्कुलर के मुताबिक, यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू होता है.
पहले एग्जिट फॉर्म फिर प्रपोजल फॉर्म जमा करना होता है
वर्तमान नियम की बात करें तो जब कोई NPS सब्सक्राइबर रिटायर होता है तो पेंशनर को निकासी के समय IRDAI के सामने एग्जिट फॉर्म जमा करना होता है. इसके बाद पेंशनर को डिटेल में प्रपोजल फॉर्म भरना होता है जो इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से ऑफर किया जाता है. प्रपोजल फॉर्म में पेंशनर्स अपने लिए एन्युटी प्लान चूज करता है.
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एग्जिट फॉर्म में होती है तमाम जानकारी
IRDAI ने कहा कि एग्जिट फॉर्म में पेंशन फंड रेगुलेटर PFRDA पेंशनर्स से विस्तार से जानकारी मांगता है. इंश्योरेंस कंपनी को जो जानकारी चाहिए, वह तमाम जानकारी उसमें होती है. ऐसे में पेंशनर्स को दोबारा उसी जानकारी को इंश्योरेंस कंपनी के साथ साझा करने का कोई मतलब नहीं बनता है. यही वजह है कि अब एग्जिट फॉर्म को ही प्रपोजल फॉर्म माना जाएगा.
रिटायरमेंट पर 40 फीसदी कॉर्पस का एन्युटी खरीदना जरूरी
NPS नियम के मुताबिक, जब कोई सब्सक्राइबर रिटायर होता है तो उसके लिए कॉर्पस का 40 फीसदी एन्युटी प्लान खरीदना जरूरी होता है. बाकी 60 फीसदी वह एकमुश्त निकाल सकता है. अगर रिटायरमेंट फंड 5 लाख से कम है तो वह पूरी रकम निकाल सकता है. अगर कोई सब्सक्राइबर 60 साल से पहले इस स्कीम से बाहर निकलना चाहता है तो उसे टोटल कॉर्पस का 80 फीसदी किसी इंश्योरेंस कंपनी से एन्युटी खरीदना जरूरी है. वह अधिकतम 20 फीसदी ही एकमुश्त निकाल सकता है.