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पिछले साल के बकाया टैक्‍स का नोटिस मिलने पर क्‍या करें करदाता, कहां सबसे पहले करना होगा रिप्‍लाई?

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कई मामलों में देखा गया है कि आयकर विभाग ने कई साल पुराने बकाए को वर्तमान साल के रिफंड के साथ एडजस्ट करने का नोटिस भेज दिया है. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आपको क्या करना चाहिए? ऐसे मामले में क्या सिर्फ आयकर पोर्टल पर जवाब दाखिल करना ही काफी है?

नई दिल्ली. आयकर रिटर्न (आईटीआर) की ई-फाइलिंग ने करदाता और कर विभाग के लिए बहुत सारी चीजों को काफी आसान बना दिया है. आईटीआर को संशोधित करने, धारा 143(1) के तहत सूचना जारी करने, धारा 154 के तहत सुधार दाखिल करने और रिफंड प्रक्रिया की ऑनलाइन प्रोसेसिंग बहुत तेज है.

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हालांकि, यह देखा गया है कि कई मामलों में, करदाताओं को धारा 245 के तहत सूचनाएं प्राप्त हुई हैं, जिसमें पिछले वर्षों की पुरानी बकाया राशि की डिमांड की गई है या चालू वर्ष के रिफंड के साथ एडजस्ट किया जा रहा है. कुछ मामलों में, जिस राशि को एडजस्ट करने की बात की गई है वो निर्धारण वर्ष 2012-13 से पहले से संबंधित है अर्थात जब ई-फाइलिंग अनिवार्य नहीं थी. अब सवाल यह उठता है कि ऐसे मामले में क्या सिर्फ आयकर पोर्टल पर जवाब दाखिल करना ही काफी है?

रिफंड के साथ एडजस्टमेंट
धारा 245 आयकर अधिकारियों को करदाता को रिफंड करने वाली राशि के साथ पिछले वर्ष की किसी भी बकाया को एडजस्ट करने का अधिकार देती है. पिछले साल के बकाया पैसे को रिफंड की जाने वाली राशि के साथ एडजस्ट करने की कोई समय सीमा नहीं है. मतलब इस कानून के अनुसार, निर्धारण वर्ष 2000-01 के लिए टैक्स की बकाया राशि  को निर्धारण वर्ष 2021-22 के लिए रिफंड की राशि के साथ एडजस्ट किया जा सकता है.

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सहमत या असहमत होने का विकल्प
हालांकि, ऐसा समायोजन यानी एडजस्टमेंट करदाता को लिखित में सूचना देने और प्रस्तावित एडजस्टमेंट का जवाब देने का अवसर प्रदान करने के बाद ही किया जा सकता है. जवाब पोर्टल के माध्यम से दर्ज किया जाना चाहिए. आयकर पोर्टल करदाता को मांग और प्रस्तावित समायोजन से सहमत या असहमत होने का विकल्प प्रदान करता है.

30 दिन का समय मिलता है
सीपीसी प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए सूचना जारी करने की तारीख से 30 दिन (पंजीकृत ईमेल पते पर सूचित) का समय प्रदान करता है. यदि 30 दिनों के भीतर प्रतिक्रिया दाखिल नहीं की जाती है, तो करदाता को बकाया मांग को स्वीकार कर लिया गया, माना जाता है और रिफंड उस हिसाब से एडजस्ट कर दिया जाता है. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि करदाता 30 दिनों के भीतर पोर्टल पर अपनी असहमति दर्ज करे.

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