सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री लावरेंस वोंग आज से पांच दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। उनकी पांच दिवसीय भारत यात्रा 21 सितंबर तक जारी रहेगी। वह उप प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भारत यात्रा पर आएंगे।
सिंगापुर, एजेंसी। सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री लावरेंस वोंग आज से पांच दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। उनकी पांच दिवसीय भारत यात्रा 21 सितंबर तक जारी रहेगी। वह उप प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भारत यात्रा पर आएंगे। वह यात्रा के पहले दिन यानी कि आज नई दिल्ली में भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR) में भाग लेंगे। इस बैठक में उनके साथ सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन, व्यापार और उद्योग मंत्री गण किम योंग और परिवहन मंत्री एवं व्यापार संबंधों के प्रभारी मंत्री एस ईश्वरानी शामिल होंगे।
गुजरात के मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
बता दें कि ISMR सिंगापुर और भारत के बीच मंत्रिस्तरीय वार्ता करने के लिए एक नया मंच है। इससे मौजूदा सहयोग को गहरा करने और नए और उभरते क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के अवसरों की पहचान करने पर जोर दिया जाना है। उप प्रधानमंत्री वोंग यात्रा के दौरान कई शीर्ष भारतीय नेताओं और हस्तियों से भी मुलाकात करेंगे। उप प्रधानमंत्री 18 सितंबर को गुजरात जाएंगे, जहां वह गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल से मुलाकात करेंगे। वह गुजरात में गुजरात अंतरराष्ट्रीय फाइनेंस सिटी का भी दौरा करेंगे। उनके साथ विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के कई अधिकारी शामिल रहेंगे।
दोनों देशों के बीच कैसा है संबंध
बता दें कि भारत और सिंगापुर के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं। आर्थिक और राजनीतिक हितों पर भारत और सिंगापुर के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध हैं। जानकारी के अनुसार, 1990 के दशक की शुरुआत से भारत में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया ने सिंगापुर के साथ सहयोग के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया, जिससे एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण उपस्थिति की संभावनाएं खुल गईं।
भारत के लिए सिंगापुर अहम
भारत के लिए सिंगापुर काफी अहम है, क्योंकि सिंगापुर ने 1990 के दशक की शुरुआत में ‘भारत की पूर्व की ओर देखो नीति’ की स्थापना के बाद से दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बहुलवादी समाजों के रूप में दोनों देश आतंकवाद और कट्टरवाद से उत्पन्न चुनौतियों को लेकर सजग है और समान चिंता साझा करते हैं। इसलिए सुरक्षा सहयोग के व्यापक ढांचे को विकसित करने के लिए दोनों देश लाभ साझा करते हैं।