रिजर्व बैंक ने मंगलवार को बैंकिंग सिस्टम में करीब 22 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डाली और एक नए संकट को भी उजागर किया. आरबीआई ने कहा कि 40 महीने में पहली बार बैंकों के पास पूंजी की कमी आई है और उनका सरप्लस भी तेजी से घट रहा है. इसका कारण कर्ज की बढ़ती मांग और जमाओं में कमी आना है.
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नई दिल्ली. जमा दर कम होने और कर्ज की मांग बढ़ने से बैंकों में फंड की कमी हो गई है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि 40 महीने में पहली बार बैंकों के पास फंड की कमी आई है, जबकि कर्ज की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
बैंकों को पूंजी मुहैया कराने के लिए आरबीआई ने मंगलवार को बैंकिंग सिस्टम में 21.8 हजार करोड़ की पूंजी भी डाली है. यह मई, 2019 के बाद से बैंकों को दी गई सबसे बड़ी रकम है. मुश्किल ये भी है कि इस समय ओवरनाइट रेट्स लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जबकि एक दिन का रेट बढ़कर 5.85 फीसदी पहुंच गया है, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे ज्यादा है. ऐसे में बैंकों के पास फंड जुटाने के विकल्प भी महंगे होते जा रहे हैं.
क्यों आई फंड की कमी
आरबीआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस समय कर्ज की मांग जहां बढ़ती जा रही है, वहीं बैंक में जमा की दर काफी कम है. 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में बैंकों के कर्ज बांटने की ग्रोथ रेट 15.5 फीसदी थी, जबकि इसी अवधि में जमा की ग्रोथ रेट 9.5 फीसदी रही. बैंक इस खाई को पाटने के लिए सरप्लस का इस्तेमाल करने लगे हैं और इसमें भी तेजी से गिरावट आ रही है. इस साल अप्रैल में जहां बैंकों के पास सरप्लस 4.57 लाख करोड़ रुपये का था, वहीं अब यह गिरकर 3.5 लाख करोड़ पर आ गया है.
बैंकों में लिक्विडी की खपत कितनी तेजी से बढ़ रही है, इसका अंदाजा आरबीआई की ही एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. इसमें बताया गया है कि जुलाई और अगस्त में बैंकों की ओर से आरबीआई के पास जमा की जाने वाली सरप्लस फंड की राशि 1 लाख करोड़ रुपये से भी कम हो गई. सीधा मतलब है कि बैंकों को कर्ज बांटने के लिए और ज्यादा फंड चाहिए, जबकि उनके पास जमा के रूप में कम राशि आ रही है. ऐसे में आरबीआई के पास मौजूद फंड ही उनके लिए सहारा बन रहा है.
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सरकार को भी खोलना पड़ेगा खजाना
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य अगले 25 साल के लिए बैंकों के हाथ में है और उन्हें बढ़ती कर्ज की मांग को पूरा करने के लिए तैयार रहना होगा. हालांकि, फंड की कमी होने पर बैंकों के पास इसे पूरा करने के लिए फिर सरकार के सामने हाथ फैलाना होगा. केंद्र ने महामारी से पहले सरकारी बैंकों में पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपये का फंड दिया था. हालांकि, वित्त राज्यमंत्री का कहना है कि बैंकों के पास कर्ज बांटने के लिए पर्याप्त पूंजी है, लेकिन रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट बताती है कि बैंकों के सामने एक बार फिर पूंजी का संकट जल्द खड़ा होने वाला है.