भारत के दिग्गज आईटी कंपनियों में शामिल विप्रो के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं विप्रो ने अपने कंपनी के 300 लोगों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है। ये फैसला मूनलाइटिंग के वजह से लिया गया है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये मूनलाइटिंग क्या होता है। तो चलिए जानते हैं।
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मूनलाइटिंग क्या होता है
मूनलाइटिंग की बात करें तो ये एक दूसरी तरह की जॉब है। जब कोई कर्मचारी अपनी फिक्स नौकरी के साथ ही दूसरी जगह भी चोरी-छिपे काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है। कई लोग बिना कंपनी को जानकारी दिए दूसरी कंपनियां या प्रोजेक्ट के लिए काम किया करते हैं।
आईटी क्षेत्र में होता है सबसे अधिक
आईटी क्षेत्र में हर दूसरे लोग मूनलाइटिंग करते है। कई लोग घर से काम करने के दौरान एक साथ दो जगह काम करते है। ऐसे में कई बार उनकी कमाई तो हो जाती है लेकिन उसके ऊपर काम काफी ज्यादा बढ़ जाता है।
फ्रीलांसिंग से अलग है मूनलाइटिंग
ये फ्रीलांसर से पूरी तरह अलग होता है क्योंकि फ्रीलांसर किसी कंपनी के कर्मचारी नहीं होते है। ऐसे में आप जितना काम करते हैं आपको उतना ही पैसा दिया जाता है। मूनलाइटिंग के अंतर्गत आप दो कंपनी में काम करते हो। ऐसे में इसे कई कंपनी पसंद नहीं करती है।
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विप्रो के अलावा कई कंपनी करती हैं मूनलाइटिंग का विरोध
सिर्फ विप्रो ने नहीं बल्कि आईटी क्षेत्रके कई बड़े कंपनी ने मूनलाइटिंग को गलत कहा है। उन्ही में से एक है इंफोसिस जिसने मूनलाइटिंग को गलत बताया था और अपने कर्मचारियों को कहा था कि वे इससे दूर रहें। वे अगर ऐसा करते पाए गए तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
भारत के दिग्गज आईटी कंपनियों में शामिल विप्रो के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं विप्रो ने अपने कंपनी के 300 लोगों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है। ये फैसला मूनलाइटिंग के वजह से लिया गया है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये मूनलाइटिंग क्या होता है। तो चलिए जानते हैं।
जानें कंपनी के सीईओ का क्या मानना है
वहीं कई अन्य कंपनी के सीईओ का मानना है कि ऐसी व्यवस्था में उन्हें कोई परेशानी नहीं है। अगर कोई कर्मचारी अपना काम खत्म करने के बाद एक्स्ट्रा वर्क करके कुछ पैसे कमाना चाहता है तो उसे इसकी इजाजत मिलनी चाहिए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
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