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सरकार ने डोमेस्टिक क्रूड ऑयल पर विंडफॉल टैक्स घटाया, एटीएफ के निर्यात पर किया पूरी तरह खत्म

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सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल और डीजल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स को घटा दिया है. इसके अलावा एटीएफ पर इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया है. पेट्रोल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स पिछले महीने ही हटा दिया गया था.

नई दिल्ली. सरकार ने घरेलू कच्चे तेल और डीजल पर अप्रत्याशित लाभ कर (विंडफॉल टैक्स) में शनिवार को कटौती की तथा जेट ईंधन के निर्यात पर इसे खत्म कर दिया. सरकार ने घरेलू उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 10,500 रुपये प्रति टन से घटाकर 8,000 रूपये प्रति टन किया है. डीजल के निर्यात पर इसे 10 रुपये प्रति लीटर से घटाकर पांच रुपये प्रति लीटर कर दिया गया.

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यह कदम अंतरराष्ट्रीय दरों में गिरावट के बाद उठाया गया है. वित्त मंत्रालय ने शनिवार देर रात को अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी. अधिसूचना के अनुसार एटीएफ (एविएशन टर्बाइन फ्यूल) के निर्यात पर इसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया है जबकि पहले यह 5 रुपये प्रति लीटर था.

जुलाई में लगाया था टैक्स

केंद्र सरकार ने जुलाई में तेल उत्पादक कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया था. सरकार का कहना था कि ये कंपनियां वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से असमान्य लाभ उठा रही हैं. इस कदम से ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी), वेदांता लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी को लाभ मिलेगा.

इससे पहले भी घटाया गया था टैक्स

सरकार ने सबसे पहले 1 जुलाई को तेल उत्पादक कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया था. तब पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया था. इसके अलावा देश में उत्पादिक तेल पर 23250 रुपये प्रति टन विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स लगा था. हालांकि, उसके बाद पांच चरणों में इसे घटाया भी गया था. 16 सितंबर तक पेट्रोल से अतिरिक्त निर्यात शुल्क को पूरी तरह हटा दिया गया था.

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उद्योग की सहमति से लगा था टैक्स

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने विंडफॉल टैक्स को लेकर कहा था कि ये कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे पहले इस उद्योग के हितधारकों से चर्चा की गई थी और उन्हें पूरी तरह आश्वस्त करने के बाद ही विंडफॉल टैक्स लगाया गया था. बकौल वित्त मंत्री, उद्योगों को कहा गया था कि हर 15 दिन पर इस टैक्स की समीक्षा की जाएगी. गौरतलब है कि यह विंडफॉल टैक्स की छठी समीक्षा थी.

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