भारत के शेयर बाजार जून 2022 के स्तर पर तभी आ सकते हैं, जब जब भारत का व्यापार घाटा करीब 28-30 अरब डॉलर प्रति माह पर बना रहे. रुपया लगातार दबाव में रहे और इसकी कीमत 85 रुपये प्रति डॉलर के करीब हो जाए.
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नई दिल्ली. दुनियाभर के तमाम शेयर बाजारों (Stock Markets) में गिरावट जारी है. सोमवार को भारतीय बाजारों में बिकवाली देखी गई. निफ्टी आज एक बार फिर 17 हजार के नीचे बंद हुआ है. आज सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में 1 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. बाजार में लगातार आ रही गिरावट से यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या भारतीय बाजार एक बार फिर जून 2022 के स्तर पर जाएंगे?
बाजार के और नीचे जाने की चर्चा अमेरिका में रिकॉर्ड महंगाई दर और वहां के शेयर बाजारों के जून 2022 का स्तर छू लेने के बाद तेज हुई है. मिराए एसेट में इंस्टीट्यूशनल बिजनेस हेड (इक्विटी और फिक्स्ड इनकम) मनीष जैन का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार अभी अपने जून 2022 के स्तर से काफी ऊपर कारोबार कर रहे हैं. उनका कहना है कि भारतीय बाजार में और गिरावट तभी आ सकती है जब कुछ खास घटनाएं हों. जून में निफ्टी 15,293 के स्तर तक चला गया था.
अभी मजबूत है बाजार
जैन ने कहा कि निफ्टी जून का स्तर तभी छू सकता है, जब यह वर्तमान स्तर से 9-10 फीसदी गिरे. जैन का कहना है कि यह गिरावट तभी आ सकती है जब भारत का व्यापार घाटा करीब 28-30 अरब डॉलर प्रति माह पर बना रहे. रुपया लगातार दबाव में रहे और इसकी कीमत 85 रुपये प्रति डॉलर के करीब हो जाए.
इसके अलावा, यूएस ट्रेजरी यील्ड वृद्धि न रुके और अमेरिकी और भारतीय 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड के बीच का अंतर बहुत कम रह जाए. क्रूड ऑयल की कीमतों में भी निरंतर इजाफा होता रहे और यह रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाए. इसके साथ ही अर्निंग्स, वेल्यूएशन को जस्टिफाई न कर सकें. अगर ये सब घटनाएं होती है, तो ही निफ्टी जून 2022 के स्तर पर जा सकता है.
क्या महंगाई होगी कम
मनीष जैन का कहना है कि अमेरिका में बेकाबू महंगाई सभी बाजारों पर दबाव डाल रही है. अभी अमेरिका की महंगाई में किसी जादूई गिरावट की आशा करना ठीक नहीं है. जैन का कहना है कि आईएमएफ और बीओएफए ग्लोबल रिसर्च के अनुसार, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एक बार जब महंगाई दर 5 फीसदी की सीमा पार कर जाती है तो इसे गिरकर 2 फीसदी आने में औसतन 10 साल लगते हैं. इसलिए फिलहाल अमेरिका में महंगाई के अगले साल 2 फीसदी के स्तर पर आना नामुमकिन ही लग रहा है.
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DII देंगे बाजार को सहारा
मनीष जैन का कहना है कि भारतीय बाजार में धन के प्रवाह को अगर हम देखें तो एक बात सामने आती है कि अब घरेलू संस्थागत निवेशक बाजार में अच्छा पैसा लगा रहे हैं. अप्रैल 2021 से जून 2022 तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जहां 55 बिलियन डॉलर की निकासी की, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस अवधि में बाजार में 45 बिलियन डॉलर का निवेश किया. आज से 5 साल पहले सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) के माध्यम से इक्विटी मार्केट में 5,600 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था. वहीं वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2023 में यह 18,000-19,000 करोड़ रुपये का स्तर छू सकता है.