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Cancer Symptoms: कैंसर का इलाज फर्स्ट स्टेज में शुरू हो तो बच सकती है जान! साइलेंट किलर के ये हैं लक्षण

Cancer Treatment: बॉडी में दो तरही की गांठे होती है. जिसमें से एक गांठ कैंसर का रूप लेती है और दूसरी नॉन कैंसर होती है. इस गांठ को ट्यूमर भी कहते हैं. जब सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ जाते हैं तब वो ट्यूमर का रूप ले लेते हैं. कैंसर वाली गांठ की पहचान बायोप्सी करवाने पर पता चल पाती है. ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है. 

Lung Cancer Symptoms And Treatment: कैंसर की शुरुआत में पहचान कर पाना बहुत मुशकिल है. जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच जाता है तब जाकर कहीं इसके बारे में पता चलता है. जब तक इसके बारे में पता चलता है तब तक बहुत देर हो जाती है. इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं. आज हम लंग कैंसर के लक्षण और इसके इलाज के बारे में बताने वाले हैं.

धूम्रपान होता है कारण
कैंसर की शुरुआत फेफडों की सेल्स से होती है तब इसे लंग कैंसर या फिर फेफड़ों का कैंसर कहते हैं. लंग कैंसर जानलेवा होता है और इसके होने का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है. फेफड़ों के कैंसर के बारे में अगर सही समय पर पता वह जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक केवल 15 प्रतिशत लंग कैंसर का इलाज फर्स्ट स्टेज पर किया जा सकता है. इसके बाद भी जिंदा रहने का रेट सिर्फ 54 फीसदी ही है. कैंसर का इलाज अगर शुरुआती चरण में करवा लिया जाए तो मरीज ज्यादा जीते हैं. 

लंग कैंसर के लक्षण 
खांसी लंग कैंसर का एक लक्षण होता है. फेफड़ों के कैंसर में खांसी समय के साथ गंभीर होती जाती है. दवा खाने पर भी इसमें कोई खास असर नहीं होता है. इसके बाद फेफड़ों में सूजन, खांसते वक्त खून आने लगता है और सांस लेने में भी काफी तकलीफ होती है. 

फेफड़ों के कैंसर का इलाज
इसका इलाज करने के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियेशन थेरेपी जैसे ट्रीटमेंट होते हैं. पहले चरण में इसके ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है, वहीं अगर लंग कैंसर के बारे में चौथे चरण यानी लास्ट स्टेज मेटास्टेसिस में कैंसर बॉडी के दूसरे अंगों तक फैल जाता है, जिसके बाद मरीजों के जिंदा रहने के चांसेस बहुत कम होते हैं.

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