सितंबर से नवंबर तक के महीनों को डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के प्रकोप के लिए जाना जाता है. इन दिनों में डेंगू, मलेरिया के संक्रमण के बढ़ने से बहुत सारे लोगों की मौत भी हो जाती है. डॉक्टरों की सलाह है कि अपनी मर्जी से ब्रूफेन और एस्पिरिन न लें, क्योंकि यह आपके लिए घातक हो सकती हैं.
नई दिल्ली : इन दिनों देश में डेगू (Dengue) और चिकनगुनिया (Chikungunya) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हाल के दिनों में हुई बारिश के बाद खासतौर पर डेंगू, मलेरिया (Malaria) और चिकनगुनिया के मामले बढ़ गए हैं. वैसे भी सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में इन मच्छर जनित बीमारियों (Vector Borne Disease) के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. कई बार इन बीमारियों के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं और लोग बुखार को मामूली मानकर पैरासिटामॉल (Paracetamol) या कुछ अन्य ओवर द काउंटर (OTC) दवाओं का सेवन करते हैं. आप जिन दवाओं को कैमिस्ट से खरीदकर अपनी मर्जी से खाते हैं उनमें से कुछ आपके लिए बहुत ही घातक साबित हो सकती हैं. जानिए इस संबंध में डॉक्टर क्या कहते हैं-
सितंबर से नवंबर तक के महीनों को डेंगू, मलेरिया के प्रकोप के लिए जाना जाता है. इन दिनों में डेंगू, मलेरिया के संक्रमण के बढ़ने से बहुत सारे लोगों की मौत भी हो जाती है. एलएनजेपी हॉस्पिटल (LNJP Hospital) नई दिल्ली के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई इस्तेमाल ना करें और खास कर इन दिनों बुखार होने पर तो बिल्कुल भी किसी तरह की कोई दवाई अपने मन से इस्तेमाल ना करें.
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डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि डेंगू, मलेरिया चिकनगुनिया वाला बुखार मरीज को होता है तो मरीज में प्लेटलेट्स की दर घटती जाती है और ऐसे में अगर मरीज अपने मन से ब्रूफेन या एस्पिरिन आदि दवा ले लेता है, तो मरीज की प्लेटलेट की दर और तेजी से घटती है. इसके कारण मरीज की हालत और खराब हो जाती है और मरीज को भर्ती होने की नौबत आ जाती है. डॉक्टर सुरेश कुमार का कहना है कि नार्मल बुखार होने पर पेरासिटामोल आप ले सकते हैं और प्लेटलेट्स घटने पर या किसी और तरह की ज्यादा दिक्कत आने पर आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें और बिना डॉक्टर परामर्श के कोई भी दवाई ना लें.
इस संबंध में हमने ‘Kid O Care‘ के एमडी-पिडियाट्रिक डॉ. अनुराग प्रसाद से बात की. डॉक्टर अनुराग ने बताया कि अगर आप डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया में पैरासिटामॉल लेते हैं तो यह बुखार उतार देता है. पैरासिटामॉल से किसी तरह का नुकसान इस तरह का नुकसान नहीं होता. उन्होंने बताया कि जब तक प्लेटलेट्स नहीं गर रहे हैं तब तक ब्रूफेन और एस्पिरिन से भी नुकसान नहीं होता, लेकिन जब प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं तो यह दवाएं घातक हो सकती हैं. डॉ. अनुराग ने बताया कि यह दवाएं प्लेटलेट्स गिराने के साथ ही उनके फंक्शन को भी नुकसान पहुंचाती हैं.
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LNJP के डॉ सुरेश कुमार ने आगे बताया कि एलएनजेपी अस्पताल में इस समय डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों के लिए स्पेशल फीवर वार्ड बनाया गया है. जिसमें 40 बेड की व्यवस्था है और यदि मरीज ज्यादा गंभीर होता है, क्योंकि प्लेटलेट्स घटने पर कई बार पेशेंट का ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा डाउन चला जाता है और स्थिति गंभीर बन जाती है, तो ऐसे मरीजों के लिए अलग से आईसीयू की भी व्यवस्था की गई है.
इस समय दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में 11 वयस्क और दो बच्चे डेंगू, मलेरिया से ग्रसित होने पर भर्ती हुए थे. जिनमें से 9 ठीक होकर घर वापस जा चुके हैं. इन सभी को माइल्ड टू मॉडरेट हल्के फुल्के लक्षण ही थे. यह सभी 9 मरीज अस्पताल से स्वास्थ्य लाभ लेकर घर वापस जा चुके हैं और अभी तक अस्पताल में डेंगू मलेरिया व चिकनगुनिया से कोई भी मौत नहीं हुई है.
डॉ सुरेश कुमार ने खाने-पीने को लेकर भी खास हिदायत दी कि इन दिनों में जबकि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया बहुत तेजी से फैलता है, तो लोगों को खानपान में भी ध्यान रखना चाहिए व सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को पानी खूब पीना चाहिए, और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे कि घर में या आसपास कहीं भी पानी जमा ना होने दें, घर के कूलर को साफ रखें ,उसमें पानी जमा ना होने दें.
खुले पड़े टायरों में पानी जमा न होने दें, क्योंकि इस मच्छर का लार्वा जमा हुए पानी में पनपता है और मच्छरदानी या मॉस्किटो कॉइल का उपयोग करें. पूरी बाजू की शर्ट पहनें वह शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढककर रखें.