मोदी सरकार अब इंडिया में फ्रैक्शनल ओनरशिप मॉडल लेकर आई है. इस मॉडल के तहत एक ही विमान के कई मालिक हो सकते हैं. इस विमान का इस्तेमाल निजी और कमर्शियल दोनों के लिए किया जा सकता है.
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नई दिल्ली. इंडिया ही नहीं पूरी दुनिया के किसी भी देश में खुद का प्राइवेट जैट होना कुछ चुनिंदा लोगों के ही बस की बात है. निजी विमान खरीदना अपने आप में एक बड़ा झंझट वाला प्रोसेस रहा है, साथ ही उसकी टैक्सिंग से लेकर मेंटेनेंस तक के चार्ज को कोई भी आम आदमी नहीं उठा सकता है. ये खर्च हर महीने का कई लाखों तक में पहुंच जाता है. लेकिन अब केंद्र सरकार ने प्राइवेट जेट की पहुंच लोगों तक आसान बनाने के लिए बड़ा फैसला किया है.
केंद्र सरकार ने प्राइवेज जैट की खरीद और संचालन को आसान बनाने के लिए एविएशन में फ्रैक्शनल ओनरशिप मॉडल इंट्रोड्यूस किया है. इस मॉडल के तहत कई लोग मिलकर एक प्राइवेट जेट या फिर हेलिकॉप्टर को खरीद सकते हैं और इसे ऑपरेट कर सकते हैं. आइये समझते हैं क्या है फ्रैक्शन ओनरशिप और कैसे आप बन सकते हैं निजी विमान के मालिक.
- फ्रैक्शनल ओनरशिप मॉडल के तहत कई लोग या कंपनियां चाहें तो मिलकर एक प्लेन खरीद सकते हैं.
- इस मॉडल के तहत आप विमान के आंशिक मालिक होते हैं.
- इस मॉडल के तहत एक विमान के ज्यादा से ज्यादा 16 मालिक हो सकते हैं.
- हर मालिक की विमान में कम से कम 6.25 प्रतिशत हिस्सेदारी जरूरी है.
- शुरुआत में ये पॉलिसी 5 साल के लिए लागू की जाएगी.
- विमान के मालिकों और फ्रेक्शनल कंपनी के बीच कम से कम 3 साल का एग्रीमेंट होना जरूरी होगा.
- विमान को खरीदने में आपने कितना निवेश किया है इसके आधार पर ये तय किया जाता है कि आप साल में कितने घंटे विमान का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये समय आप अपने हिसाब से चुन सकते हैं.
- प्लेन के प्राइवेट यूज के साथ ही कुछ परमिट लेने के बाद इसका कमर्शियल यूज भी किया जास सकता है.
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क्या होंगे फायदे
फ्रैक्शनल ओनरशिप का सबसे बड़ा फायदा पैसे की बचत है. विमान खरीदने के लिए चाहिए करोड़ाें रुपये यहां पर कई लोगों के बीच बंटने से ये भार कम होगा. साथ ही विमान की खरीद के बाद हर दिन होने वाला बड़ा खर्च भी आपस में बंट जाएगा. जिससे वित्तीय बोझ कम होगा. दूसरा बड़ा फायदा निजी जेट होने के चलते आपका सफर न केवल सुविधाजनक व आसान होगा बल्कि आपके समय के अनुसार हो सकेगा.