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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है अयोध्या, इस बार यहां मनाइये दिवाली, जानिये यहां का इतिहास

RAMLALA

इस दिवाली आप परिवार के साथ अयोध्या में मना सकते हैं. दिवाली के दिन यहां की जगमगाहट देखने लायक होती हैं. अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन होता है. सरयू नदी के तट पर लाखों दीये जगमगाते हैं. पिछले साल भी यहां दीपोत्सव का भव्य आयोजन हुआ था.

इस दिवाली आप परिवार के साथ अयोध्या में मना सकते हैं. दिवाली के दिन यहां की जगमगाहट देखने लायक होती हैं. अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन होता है. सरयू नदी के तट पर लाखों दीये जगमगाते हैं. पिछले साल भी यहां दीपोत्सव का भव्य आयोजन हुआ था. सरयू नदी के तट पर लेजर शो आयोजन किया गया था. राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है और ऐसा भी दावा किया जा रहा है कि 2024 की मकर संक्रांति के मौके पर भगवान श्रीराम भव्य मंदिर में विराजमान होंगे.

वैसे भी अयोध्या उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर और धार्मिक नगरी है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि होने के कारण यह शहर पवित्र स्थानों में गिना जाता है. लखनऊ से करीब 135 किमी पूर्व में सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या को प्राचीन काल में साकेत कहा जाता था. इस शहर का उल्लेख महाकाव्य रामायण सहित कई पौराणिक शास्त्रों में मिलता है. अथर्ववेद में अयोध्या को देवताओं का नगर बताया गया है और इसकी समृद्धि की तुलना स्वर्ग से की गई है. अयोध्या आदिनाथ सहित पांच जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है.

यह शहर फैजाबाद जिले में आता है. रामायण के मुताबिक अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी. यह रघुवंशी राजाओं की बेहद पुरानी राजधानी थी. कहा जाता है कि श्रीराम के बाद यह शहर उजड़ गया था. रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रूप में किया गया है. पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान श्रीराम बैकुंठ धाम चले गए तो पूरी अयोध्या नगरी सरयू में समाहित हो गई. बाद में कौशांबी के महाराज कुश ने अयोध्या को फिर से बसाया. जिसका वर्णन कालिदास के ग्रंथ ‘रघुवंश’ में मिलने की बात कही जाती है. जैन परंपराओं के मुताबिक अयोध्या को ऋषभदेव ने फिर से बसाया था.

भविष्य पुराण के अनुसार उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व में एक बार फिर से उजड़ चुकी अयोध्या का निर्माण करवाया. 1528 में मुगल आक्रमणकारी बाबर ने अयोध्या में स्थित राममंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवा दिया था. इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े लाखों कार सेवकों ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया था. श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 5 अगस्त 2020 को वहां भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला का कार्यक्रम तय किया. यह शहर लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों से रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. अगर ट्रेन से आ रहे हैं तो आपको अयोध्या रेलवे स्टेशन उतरना होगा जो उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है. यह दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. यह रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र से दो किमी से भी कम की दूरी पर है. अयोध्या सड़क मार्ग से विभिन्न राज्यों और शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है.

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