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टेलीकॉम सेक्टर में आएगी नौकरियों की बहार, सरकार ने 42 और कंपनियों को पीएलआई स्कीम शामिल किया

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पीएलआई के तहत आने वाली टेलीकॉम कंपनियों को और अधिक प्रोडक्ट जोड़कर डिजाइन लिंक्ड इंसेटिव के तहत आवेदन करने का विकल्प दिया गया था. उन्हें 5 साल के पीएलआई पीरियड को घटाकर 1 साल का करने का भी विकल्प मिला था.

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने टेलीकॉम और कम्युनिकेशन सेक्टर के लिए पीएलआई योजना में 42 और कंपनियों को शामिल करने की मंजूरी दे दी है. 42 में से कंपनियां 28 एमएसएमई हैं. पीएलआई के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों में से 17 ने डिजाइन आधारित मैन्युफैक्चरिंग मानदंड के तहत 1 फीसदी अतिरिक्त पीएलआई की मांग की थी.

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इन 42 कंपनियों ने 4115 करोड़ रुपये के निवेश को लेकर प्रतिबद्धता जताई है और इससे करीब 44,000 नए रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. इस निवेश के साथ टेलीकॉम प्रोडक्ट की बिक्री में 2.45 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होने की उम्मीद है. पीएलआई के तहत आने वाली टेलीकॉम कंपनियों को और अधिक प्रोडक्ट जोड़कर डिजाइन लिंक्ड इंसेटिव के तहत आवेदन करने का विकल्प दिया गया था. इसके अलावा उन्हें 5 साल के पीएलआई पीरियड को घटाकर 1 साल का करने का भी विकल्प मिला था.

कंपनियों ने उठाया लाभ
22 कंपनियों ने इस मौके का लाभ उठाया जिसमें 13 नए आवेदक शामिल हैं. इन कंपनियों ने अपने पीएलआई की अवधि को 5 साल से घटाकर 1 साल कर दिया. सीएनबीसी की खबर के अनुसार, डीएलआई के तहत आवेदन करने वाली कंपनियों को 5-8 फीसदी का इंसेंटिव मिलेगा. सरकार डीएलआई के तहत 4195 करोड़ का इंसेंटिव देगी. वहीं, सामान्य पीएलआई के तहत आवेदन करने वाली टेलीकॉम और कम्युनिकेशन कंपनियों को 4-7 इन्सेंटिव मिलेगा.

क्या है डीएलआई स्कीम?
डीएलआई के तहत इन कंपनियों को केवल फाइनेंशियल इंसेंटिव नहीं बल्कि डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट भी दिया जाएगा. ये सपोर्ट कंपनियों को सेमीकंडक्टर डिजाइन, इंटीग्रेटेड सर्किट, चिपसेट्स आदि बनाने के लिए अगले 5 सालों तक मिलेगा. इस योजना को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने तैयार किया है. इस योजना का मकसद सेमीकंडक्टर डिजाइन को वित्तीय प्रोत्साहन के साथ बुनियादी ढांचा मुहैया कराना है.

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कौन हैं पात्र?
डिजाइन लिंक इन्सेंटिव के तहत ऐसी कंपनियां पात्र होंगी जो अपने प्रोडक्ट्स में 50 फीसदी मेड इन इंडिया प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं. नई पीएलआई योजना में निर्माताओं की बातों को सुना गया है और सरकार ने शोध एवं विकास पर 15 फीसदी रकम के इस्तेमाल की अनिवार्यता को हटा दिया है. इस योजना से सैमसंग, नोकिया, जाबिल, डिक्सन टेक, तेजस नेटवर्क, एचएफसीएल, वीवीडीएन व कोरल टेलीकॉम जैसी कंपनियों को लाभ पहुंचने की उम्मीद है.

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