All for Joomla All for Webmasters
हेल्थ

हार्ट अटैक में क्‍या है गोल्‍डन ऑवर? एम्‍स के डॉ. बोले, जानें और बचाएं मरीज की जान

पहले जो हार्ट की बीमारी 60 की उम्र के बाद होती थी वह अब 20 और 30 की उम्र में हो रही है. युवाओं में हार्ट अटैक का होना वास्‍तव में समस्‍या है लेकिन इनके कई कारण हैं. भारत में बड़ी संख्‍या में डायबिटीज और ब्‍लड प्रेशर के मरीज बढ़े हैं. युवा जिस भागदौड़ और व्‍यस्‍तता भरी लाइफस्‍टाइल में जी रहे हैं, उसमें वे व्‍यायाम नहीं करते. युवाओं में वजन का बढ़ना भी एक समस्‍या है.

नई दिल्‍ली. पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं देखने को मिली हैं जब नाचते-नाचते या चलते-चलते व्‍यक्ति को हार्ट अटैक आया या कार्डिएक अरेस्‍ट हो गया और अस्‍पताल पहुंचने तक उसने दम तोड़ दिया. वहीं खासतौर पर युवाओं में भी ये देखा गया कि उन्‍हें अचानक कुछ बेचेनी या परेशानी हुई लेकिन बहुत गंभीरता से न लेने पर हार्ट अटैक के शिकार बन गए. हालांकि लगातार बढ़ रही इन घटनाओं को लेकर चिंतित स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ इसको लेकर एक टर्म बता रहे हैं और वह है गोल्‍डन ऑवर. स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो हार्ट के मरीज के मामले में अगर इस गोल्‍डन आवर का ध्‍यान रखा जाए तो ऐसी मौतों को रोका जा सकता है.

दिल्‍ली स्थित ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर वैस्‍कुलर कार्डियोलॉजी डॉ. नीतीश नायक न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि हार्ट अटैक में कई बार ऐसा होता है कि दिल का दौरा पड़ते ही अचानक मरीज की मौत हो जाती है. मरीज को बचाने का समय नहीं मिल पाता. कई बार ऐसा होता है कि मरीज को पहले भी हार्ट की परेशानी के लक्षण होते हैं लेकिन वह उनको पहचान नहीं पाता या लापरवाही कर देता है और उसको जो इलाज उस समय मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है. जिसका खामियाजा बाद में उठाना पड़ता है.

पहले जो हार्ट की बीमारी 60 की उम्र के बाद होती थी वह अब 20 और 30 की उम्र में हो रही है. युवाओं में हार्ट अटैक का होना वास्‍तव में समस्‍या है लेकिन इनके कई कारण हैं. भारत में बड़ी संख्‍या में डायबिटीज और ब्‍लड प्रेशर के मरीज बढ़े हैं. युवा जिस भागदौड़ और व्‍यस्‍तता भरी लाइफस्‍टाइल में जी रहे हैं, उसमें वे व्‍यायाम नहीं करते. युवाओं में वजन का बढ़ना भी एक समस्‍या है. खाना कई बार फास्‍ट फूड होता है. डाइट हेल्‍दी नहीं होती. स्‍मोकिंग यानि धूम्रपान करते हैं. शराब या एल्‍कोहॉल लेते हैं.

डॉ. नीतीश कहते हैं कि इसमें कोविड को भी एक कारण के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा हो सकता है कि कोरोना की भी हार्ट अटैक को बढ़ाने में भूमिका रही होगी क्‍योंकि जब भी किसी को कोई वायरल इन्‍फेक्‍शन होता है कि तो महीनों या कह सकते हैं लंबे समय तक भी यह हार्ट अटैक जैसी बीमारियों को बढ़ाने में सहायक हो सकता है हालांकि एकमात्र कोरोना ही इनके लिए जिम्‍मेदार है ऐसा नहीं कह सकते. यह मल्‍टीपल फैक्‍टर्स की वजह से हो सकता है.

क्‍या है गोल्‍डन ऑवर
डॉ. नीतीश बताते हैं क‍ि हार्ट के मामले में जो सबसे जरूरी चीज है वह है समय. अगर किसी मरीज हार्ट अटैक आया लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला तो स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं. न केवल हार्ट बल्कि मरीज के अन्‍य महत्‍वपूर्ण अंग खराब होने लगते हैं. कई बार लोगों को लगता है कि गैस की परेशानी है. वे गैस की दवा ले लेते हैं और वे जांच नहीं करवाते. जब तक कोई परेशानी न हो लोग अपना बीपी और शुगर नहीं नापते. जिसकी वजह से समय से बीमारी का पता नहीं चलता.

इसके साथ ही हार्ट अटैक के मरीज के लिए देखें तो सबसे जरूरी बात यह है कि अगर किसी को सीने में दर्द हो रहा है, पसीना छूट रहा है. बेचेनी हो रही है तो उसे तत्‍काल अस्‍पताल पहुंचाया जाना चाहिए. चिकित्‍सकीय भाषा में इसे गोल्‍डन आवर बोलते हैं यानि परेशानी के एक घंटे के अंदर मरीज अस्‍पताल पहुंच जाता है और उसे इलाज मिलना शुरू हो जाता है तो उसे कुछ नहीं हो सकता. हार्ट को कोई डेमेज नहीं होगा. वहीं अगर कार्डिएक अरेस्‍ट है तो मरीज को 10 मिनट के भीतर अस्‍पताल पहुंचाना जरूरी है क्‍योंकि यहां ब्रेन काफी महत्‍वपूर्ण हो जाता है. अगर ब्रेन को 10 मिनट ऑक्‍सीजन नहीं मिलेगी तो वह डेमेज हो सकता है.

लिहाजा कार्डिएक अरेस्‍ट में एक-एक मिनट भी कीमती है. मरीज बेहोश है तो उसे तत्‍काल फर्स्‍ट एड भी देना जरूरी है, जिसमें सीपीआर यानि दोनों हाथों से सीने पर दवाब दें, सांस नहीं आ रही तो कृत्रिम सांस दें और संभव हो तो डिफ्रिबिलेटर दें.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top