नई दिल्ली. लगातार बढ़ती महंगाई से आम आदमी बुरी तरह त्रस्त है क्योंकि इससे आमदनी और बचत दोनों बुरी तरह प्रभावित हो रही है. चूंकि महंगाई पर नियंत्रण हमारे बस में नहीं है. ऐसे में खर्च कम करके ज्यादा बचत करना जरूरी है. इसकी मदद से हम भविष्य के लिए बेहतर पूंजी जोड़ पाएंगे. लेकिन सवाल है कि यह संभव कैसे होगा? क्योंकि इनकम के साथ-साथ खर्चें भी फिक्स हैं.
इस परेशानी से पार पाने के लिए आप 50:30:20 नियम अपना सकते हैं. हो सकता है कि बहुत से लोग इस रूल से वाकिफ ना हो या उन्होंने इसके बारे में पहली बार सुना हो. मौजूदा दौर में बढ़ती महंगाई के बीच यह नियम बहुत अहम हो गया है और यह बहुत सरल है. आइये विस्तार से जानते हैं इस तरीके
के बारे में…
महंगाई से निपटने के लिए क्या है 50:30:20 नियम?
बढ़ती महंगाई के दौर में आय और खर्चों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है और यह नियम इसी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इस रूल के तहत टैक्स देने के बाद बची कुल कमाई का 50 फीसदी हिस्सा जरूरी कामों पर खर्च करें और 30 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल अपनी इच्छाओं को पूरा करने में करें. वहीं, इसके बाद बचा 20 फीसदी हिस्से की बचत करें. हालांकि, यह नियम तब लागू होता है जब महंगाई दर 2-5 फीसदी की सामान्य दर पर हो.
लेकिन देश में अभी महंगाई की दर 6 फीसदी से ऊपर है इसलिए 20 फीसदी से ज्यादा बचत करने की जरूरत होगी. इसके लिए कुछ तरीके अपनाने होंगे. इनमें गैर जरूरी खर्च और बचत की गई रकम को कहीं निवेश करें.
बेकार के खर्च कम करें- गैर जरूरी खर्च के तौर पर घूमना-फिरना, मूवी देखना, रेस्टोरेंट में खाना-पीना और कहीं टूर पर जाना थोड़ा कम करें या इस पर नियंत्रण लगाएं. इसके लिए आप क्रेडिट कार्ड या बैंक स्टेटमेंट चेक कर सकते हैं कि आप कहां-कहां कितना खर्च करते हैं और कैसे खर्चों में कटौती कर सकते हैं.
पर्सनल इंफ्लेशन रेट का कैलकुलेशन करें- दो अलग-अलग दिनों में एक ही तरह के दैनिक खर्चों की तुलना करें. इसके लिए कई मोबाइल ऐप और ऑनलाइन टूल्स उपलब्ध हैं. इनकी मदद से आप इन खर्चों को आसानी से कैलकुलेट कर सकते हैं. ऐसा करके आप पिछले दिन के मुकाबले आज हुए खर्चों की तुलना कर महंगाई के असर को जान पाएंगे. इसके बाद यह देखने की कोशिश करें कि जो खर्च बढ़ा है उसकी भरपाई कैसे की जाए.
रियल रिटर्न देने वाली योजनाओं में निवेश करें- रियल रिटर्न तभी मिलता है जब आप बचत से महंगाई का असर कम करते हैं. बैंक एफडी और इस तरह की फिक्स्ड इनकम वाली स्कीम में उतना रिटर्न नहीं मिलेगा जो महंगाई को मात दे सके. ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ाने की जरूरत होगी और एसआईपी के जरिए इसे बढ़ाया जा सकता है.