भारत में लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है. देश में कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस लेख में कोलोरेक्टल कैंसर के कारण व लक्षण से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं.
National Cancer Awareness Day 2022: भारत में हर साल लाखों लोगों की कैंसर से मौत हो रही है. लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति शिक्षित करने के लिए हर साल देश में 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को पहली दफा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वाला साल 2014 में घोषित किया गया था. पिछले काफी समय से देश में लगातार कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते देखे गए हैं. यही नहीं महिलाओं की तुलना में पुरुष इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं. इसके पीछे खराब लाइफस्टाइल को जिम्मेदार माना गया है.
कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) की शुरुआत कोलन या रेक्टम यानी मलाशय में होती है. इसे कोलन कैंसर व रेक्टल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर इन दोनों को साथ में देखा जाता है, क्योंकि इनमें कई विशेषताएं हैं.
ऐसे होती है शुरुआत
कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत कोलन और मलाशय की अंदरूनी परत में वृद्धि से शुरू होती है. इस वृद्धि को पॉलिप्स कहा जाता है. समय के साथ कुछ पॉलिप्स में कैंसर विकसित हो जाता है. हालांकि, सभी पॉलिप्स कैंसर नहीं बनते हैं, यह पूरी तरह से पॉलिप्स के प्रकार पर निर्भर होता है.
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
– कब्ज या दस्त की शिकायत बने रहना
– त्वचा का पीला पड़ना
– हर समय आंत का पूरी तरह साफ न होना महसूस होना
– पेट में तेज दर्द या ऐंठन बने रहना
– वजन गिरना
– मल में से खून आना
– ब्लोटिंग की शिकायत होना
– हर समय थकान व कमजोरी महसूस होना
– सांस लेने में दिक्कत होना
– बार-बार यूरिन आना
– यूरिन में ब्लड आना
ऐसी डाइट से होगा बचाव
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण जानने के बाद इसके कारण पर एक नजर डाल लेते हैं. जो लोग फिजिकल एक्टिव नहीं रहते व असंतुलित डाइट लेते हैं. आसान शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं जो फल और सब्जियों का सेवन कम करते हैं व अधिक मात्रा में रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का सेवन करते हैं, उनमें इसका जोखिम अधिक होता है. यही नहीं मोटापे से ग्रसित लोगों में भी इसकी चपेट में आने की संभावना अधिक होती है. वहीं, कुछ लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर के पीछे अनुवांशिक कारण जिम्मेदार होते हैं.