शिमला.हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 15 विधानसभा सीटों के साथ कांगड़ा जिला चुनावी जंग का सबसे बड़ा मैदान है. यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले के आसार हैं. मतदान में कुछ ही दिन बचे हैं. इसलिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस जिले में वोटरों का भरोसा जीतने के लिए कई राष्ट्रीय नेताओं के दौरे के साथ चुनावी जंग तेज हो गई है. सत्तारूढ़ भाजपा ने 2017 में कांगड़ा की 15 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी और राज्य में अपनी सरकार बनाई थी. जबकि 2012 में कांग्रेस ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी सत्ता में आई थी. हालांकि इस बार पंजाब में हाल ही में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी (आप) भी मैदान में है.
जहां अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी चुनाव से पहले अपनी ताकत गंवा चुकी है, वहीं कांगड़ा जिले में निर्दलीय उम्मीदवार बीजेपी और कांग्रेस की चुनावी गणित को बिगाड़ने के लिए कमर कस कर तैयार हैं. कांगड़ा के 15 निर्वाचन क्षेत्रों में से भाजपा कम से कम पांच जगहों में असंतोष का सामना कर रही है. पार्टी के बागी उम्मीदवार धर्मशाला, कांगड़ा, फतेहपुर, देहरा और इंदौर में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं. वन मंत्री और पड़ोसी नूरपुर से तीन बार के विधायक राकेश पठानिया फतेहपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट को भाजपा ने पिछले दो दशकों से नहीं जीत सकी है. हिमाचल प्रदेश भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष कृपाल परमार भी इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
बागियों के बीजेपी को खतरा
पार्टी को देहरा और ज्वालामुखी में भी झटके लगने की आशंका है, जहां उसने अपने दो वरिष्ठ नेताओं- पूर्व मंत्री रमेश धवाला और वरिष्ठ नेता रविंदर रवि की सीटों की अदला-बदली की है. भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद मौजूदा विधायक होशियार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इंदौरा से भाजपा के पूर्व विधायक मनोहर धीमान और धर्मशाला में इसके एसटी विंग के प्रमुख विपन नेहरिया ने भी बगावत कर दी है. दूसरी ओर कांग्रेस सत्ता-विरोधी लहर पर सवार है और कांगड़ा जिले में अपने 2017 के रिकॉर्ड को बेहतर करने की उम्मीद कर रही है. पार्टी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता जीएस बाली के बेटे आरएस बाली को भी टिकट दिया है, जिनका पिछले साल निधन हो गया था.
शिमला में सत्ता के लिए कांगड़ा जीतना जरूरी
कहा जाता है कि शिमला में सत्ता का रास्ता कांगड़ा से होकर जाता है. चुनावों में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में सभी पार्टियों के कई राष्ट्रीय नेता इस बेहद महत्वपूर्ण जिले में अपना अंतिम जोर लगा रहे हैं. सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैजनाथ में रैलियों को संबोधित किया, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह धर्मशाला में जनसभा को संबोधित किया. उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने भी पिछले हफ्ते ज्वालामुखी में एक रैली की.
नगरोटा-बगवां में वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी की रैली से कांग्रेस के प्रचार को एक तेजी मिली है, जहां उन्होंने कांगड़ा जिले से पार्टी के अधिकांश उम्मीदवारों को मंच पर लाया गया. सचिन पायलट ने भी एक अन्य निर्वाचन क्षेत्र सुलह में स्थानीय प्रत्याशी जगदीश सिपहिया और पालमपुर के आशीष बुटेल के समर्थन में मतदाताओं को संबोधित किया. राज्य में 12 नवंबर को मतदान होना है. चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.