भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में वर्ल्ड लीडर बन सकता है. वर्तमान में भारत अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले तेल का 88 प्रतिशत आयात करता है. मालवाहक ट्रक देश के परिवहन क्षेत्र द्वारा खपत कुल पेट्रोलियम का लगभग 60 प्रतिशत उपयोग करते हैं.
नई दिल्ली. भारत के पास इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के मामले में दुनिया भर में टॉप पर पहुंचने की झमता है. हाल ही में लॉस एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और बर्कले लैब की ओर से आयोजित की गई एक स्टडी में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट बताती है कि अगर भारत डीजल से चलने वाले ट्रकों को इलेक्ट्रिक ट्रकों में बदल देता हो तो देश 2070 तक शुद्ध शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में वर्ल्ड लीडर बन सकता है. वर्तमान में भारत अपने द्वारा उपयोग किए जाने वाले तेल का 88 प्रतिशत आयात करता है. मालवाहक ट्रक देश के परिवहन क्षेत्र द्वारा खपत कुल पेट्रोलियम का लगभग 60 प्रतिशत उपयोग करते हैं.
आयातित तेल पर निर्भरता भी होगी कम
लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (बर्कले लैब) के ऊर्जा विभाग और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि डीजल की तुलना में इलेक्ट्रिक ट्रक चलाने में ज्यादा किफायती होंगे. शोध से पता चलता है कि इस बदलाव से भारत को आयातित तेल पर निर्भरता कम करने में भी मदद मिल सकती है. अध्ययन में कहा गया है कि यह देश भर में वायु गुणवत्ता में सुधार करने और 2070 तक शुद्ध शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद करेगा.
माल परिवहन लागत भी हो जाएगी कम
बर्कले लैब के रिसर्च साइंटिस्ट और रिपोर्ट के लेखक निकित अभ्यंकर ने कहा, “इलेक्ट्रिक ट्रक भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और माल परिवहन लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.” रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के मौजूदा ग्रिड उत्सर्जन के आधार पर इलेक्ट्रिक ट्रक डीजल ट्रकों की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 35 प्रतिशत प्रति किलोमीटर से घटाकर नौ प्रतिशत कर देंगे.
सरकार को करना होगा ये काम
रिपोर्ट के लेखक और बर्कले लैब और यूसीएलए में फैकल्टी साइंटिस्ट दीपक राजगोपाल ने कहा, “इससे पहले भारत ने बहुत महत्वाकांक्षी विद्युतीकरण नीतियां शुरू की हैं.” राजगोपाल ने बर्कले लैब द्वारा जारी एक बयान में कहा, “यह बात सामने आई है कि अब भारत में ट्रकों को भी इन नीतियों में शामिल करने का वक्त आ गया है.”