Pancreatic Cancer: दुनियाभर में हर वर्ष लाखों लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर होता है. अकेले भारत में ही साल 2020 में 14530 लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर हुआ. लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मरीजों की बीमारी का निदान देरी से होता है. यही कारण है कि दुनियाभर में पैंक्रियाटिक कैंसर के 10 फीसद से भी कम मरीज निदान के बाद 5 साल भी जी पाते हैं.
Pancreatic Cancer: पैंक्रियाटिक कैंसर एक साइलेंट किलर है. बहुत से लोगों में तब तक इसके लक्षण नहीं दिखते हैं, जब तक यह एडवांस स्टेज में नहीं पहुंच जाता और ऐसे में उनके बचने की उम्मीद भी धूमिल हो जाती है. लगातार वजन कम होना और ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ना यानी डायबिटीज (Diabetes) इसके कुछ लक्षणों में से हैं. लेकिन अब तक भी यह पता नहीं चल पाया है कि यह लक्षण कब दिखेंगे और कितने गंभीर रूप से दिखेंगे. अगर पैंक्रियाटिक कैंसर के निदान से पहले दिखने वाले इन लक्षणों को हम और बेहतर तरीके से समझ पाते तो, इस बीमारी को और बेहतर समझने, इसका निदान करने और भविष्य में मरीज की जान बचाने में ज्यादा मदद मिल सकती.
दुनियाभर में हर वर्ष लाखों लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर होता है. अकेले भारत में ही साल 2020 में 14530 लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर हुआ. लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मरीजों की बीमारी का निदान देरी से होता है. यही कारण है कि दुनियाभर में पैंक्रियाटिक कैंसर के 10 फीसद से भी कम मरीज निदान के बाद 5 साल भी जी पाते हैं.
पैंक्रियाटिक कैंसर को समझने के लिए इंग्लैंड की सरे यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक स्टडी की. इस स्टडी में पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षणों वजन कम होने, हाई ब्लड शुगर और डायबिटीज की जांच की और देखा कि यह लक्षण कब पनपते हैं. अपनी तरह के इस सबसे बड़े शोध को PLOS ONE में छापा गया है. इस शोध को करने के लिए शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड के 1 करोड़ लोगों के सबसे बड़े डाटाबेस का इस्तेमाल किया. जितना बड़ा डाटाबेस होगा, शोध के निष्कर्ष ज्यादा से ज्यादा लोगों को रिप्रजेंट करेंगे. इस शोध में ऐसे लोगों के डाटाबेस का इस्तेमाल किया गया, जिनके पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान हो चुका है और जाना कि समय बीतने के साथ उनमें किस तरह के बदलाव आए.
इन लक्षणों पर रखें नजर
इस शोध के तहत पैंक्रियाटिक कैंसर से ग्रसित करीब 9000 लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (वजन पर नजर रखने के लिए) और HbA1c (ब्लड शुगर पर नजर रखने के लिए) किया और इसका आकलन 35000 ऐसे लोगों के साथ किया जिन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर नहीं है. इस शोध में पाया गया कि जिन लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर है उनमें तेजी से वजन गिरने की समस्या देखी गई. खासतौर पर पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान होने से 2 साल पहले वजन में यह बदलाव देखने को मिला.
जिस समय इन लोगों में पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान हुआ, उस समय उनका वजन ऐसे आम लोगों से 3 युनिट तक कम था, जिन्हें कैंसर नहीं था. शोध में यह भी पता चला कि उनका ब्लड शुगर का स्तर तो इससे भी पहले बढ़ना शुरू हो गया था. पैंक्रियाटिक कैंसर के निदान से करीब 3 साल पहले से ही उनका ब्लड शुगर का स्तर लगातार ऊपर बना हुआ था.
जिन्हें डायबिटीज नहीं है, वो भी रखें ध्यान
इस शोध के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में वजन कम होने से आगे चलकर पैंक्रियाटिक कैंसर के विकसित होने खतरा उन लोगों से ज्यादा होता है, जिन्हें डायबिटीज नहीं है. यही नहीं, जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है, फिर भी उनका ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ रहा है तो उनमें पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा उन लोगों से ज्यादा है, जिन्हें डायबिटीज है.
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अगर बिना किसी वजह से वजन कम हो रहा है, खासतौर पर उन लोगों में जिनको डायबिटीज है, उनका इलाज पैंक्रियाटिक कैंसर के संभावित मरीज के तौर पर देखा जाना चाहिए. यही नहीं अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज नहीं है और वजन बढ़े बिना ही उनका ग्लूकोज लेवल बढ़ रहा है तो यह पैंक्रियाटिक कैंसर का संभावित लक्षण हो सकता है.
हेल्थ चेकअप है जरूरी
इस तरह से लक्षण अगर आपको अपने में, परिवार के किसी सदस्य में, दोस्तों या रिश्तेदारों में दिखें तो उनका नियमित तौर पर हेल्थ चेकअप करवाते रहें. अगर उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर से तो शुरुआत में निदान होने पर इलाज आसान होगा और जान बचने की उम्मीद ज्यादा रहेगी. यदि पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर उन्हें स्पेशलिस्ट के पास या अस्पताल में भेज सकते हैं.