Rajasthan news: चिड़ी चोंच भर ले गई; नदी न घटियो नीर… दान किए धन ना घटे; कह गए दास कबीर… कबीर दास के दोहे को चरितार्थ किया है बाड़मेर जिले सहित देश के दानवीरों ने. सोशल मीडिया में वायरल हुए एक पोस्ट के कारण हादसे में अनाथ हो चुकी सात गरीब बेटियों के लिए दो दिन में ही एक करोड़ से ज्यादा राशि की मदद हो गई.
बाड़मेर. दानवीर भामाशाह के बारे में हम सब जानते हैं. आज भी हमारे समाज में ऐसे दानवीर मौजूद हैं जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद को आगे आते हैं. बाड़मेर में भी ऐसा ही मामला सामने आया है जहां मालपुरा गांव का एक परिवार हादसे का शिकार हो गया था. यह परिवार मददगारों के कारण रातोंरात करोड़पति बन गया है. दरअसल, तीन दिन पहले सड़क दुर्घटना में एक परिवार की सात बेटियों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया था. परिवार इतना गरीब कि दो समय के खाने के लिए अनाज तक नहीं था. ऊपर से इसी हादसे में इकलौता बचा चार वर्षीय बालक घायल था, इसका इलाज जारी है. इसको देखकर एक सोशल मीडिया में पोस्ट वायरल हुई और सोशल मीडिया में पोस्ट वायरल होने के बाद देशभर से मददगारों का कारवां उमड़ पड़ा. एक ही दिन में परिवार करोड़पति बन गया.
बता दें कि कुछ दिन पहले बाड़मेर जिले के गुडामालानी क्षेत्र के मालपुरा निवासी खेताराम और उनकी पत्नी कुकू देवी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. उनकी 8 संताने हैं, जिनमें 7 बेटियां और एक बेटा है. हादसे में 3 वर्षीय बेटा भी गंभीर रूप से घायल हो गया था. उसका जोधपुर के एक अस्पताल में उपचार चल रहा है. इस घटना के बाद देशभर के भामाशाह लगातार इन बेटियों के सहयोग के लिए आगे आए और महज 2 दिनों में करीब एक करोड़ रुपए से अधिक सहयोग इन बेटियों के लिए इकट्ठा हो चुका है.
बाड़मेर के जिला कलेक्टर लोकबंधु भी इन बच्चों को सांत्वना देने के लिए उनके घर पहुंचे और उन्होंने कहा कि जो भी सरकारी योजनाएं है उन तमाम योजनाओं के तहत इस परिवार को पूरा लाभ दिलाया जाएगा. साथ ही इन बच्चियों के लिए आई सहयोग राशि को व्यवस्थित रूप से मेंटेन करना और सभी बच्चों की अलग-अलग फिक्स डिपॉजिट के रूप में राशि जमा करवाना भी हमारा फर्ज बनता है, ताकि किसी प्रकार का इनके साथ धोखा नहीं हो. इसको लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं.
खैर इन बच्चियों पर जो दुखों का पहाड़ गिरा है उसकी भरपाई इस दुनिया में कोई नहीं कर सकता, लेकिन बच्चियों के लिए यह राशि मददगार जरूर बनेगी. इस घटना से यह बात भी साबित होती है कि मददगारों के लिए इस दुनिया में भामाशाह और सहयोगकर्ताओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन जरूरत ऐसे लोगों को प्रेरित करने की ही. जरूरत यह भी है कि ऐसे लोग आएं जो जरूरतमंदों की आवाज उन दानवीरों तक पहुंचाएं.