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2030 तक चांद पर रह कर काम करने लेगेंगे इंसान – नासा

चंद्रमा पर अपने बेस बनाने (Base on the Moon) और अन्य भावी अभियानों के लिए इंसान के चंद्रमा पर लंबे समय की उपस्थिति सुनिश्चित करने की दिशा में नासा ने पहला कदम सफलता पूर्वक उठा दिया है. नासा का आर्टिमिस अभियान (Artemis Mission of NASA)  का सफल प्रक्षेपण हो चुका है. अब ओरियॉन अंतरिक्ष यान चंद्रमा की विशेष कक्षा की ओर बढ़ रहा है. यह अभियान नासा का महत्वाकांक्षी अभियान का पहला चरण है जिसके तीसरे और अंतिम चरण में नासा चंद्रमा पर पहली महिला और पहला गैरश्वेत पुरुष भेजा जाएगा और इस अभियान के जरिए चंद्रमा पर लंबे समय तक मानव की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए. नासा के बड़े अधिकारी का कहना है कि 2030 तक इंसान चंद्रमा पर रहने लगेंगे और काम (Humans working on Moon) भी करने लगेंगे.

8 साल में रहने लगेंगे लोग

इस अभियान के बारे में नासा के ओरियॉन लूनार स्पेसक्राफ्ट प्रोग्राम के प्रमुख हॉवर्ड हू का कहना है कि 2030 से पहले ही इंसान चंद्रमा पर लंबे समय तक रहने के लिए रहने लगेंगे और इसका मतलब केवल यह नहीं होगा कि चंद्रमा पर इंसानों के लिए रहने लायक जगह बन जाएगी. बल्कि इसके साथ उनका साथ देने के लिए बहुत सारे रोवर भी काम करने लगेंगे.

चंद्रमा का चक्कर काटकर लौट आएगा ओरियॉन

ओरियॉन के प्रमुख मैनेजर हू नासा के ओरियॉन के डिजाइन, विकास,उत्पादन, और ऑपरेशन्स के लिए जिम्मेदार हैं.  फिलहाल ओरियॉन का बिना किसी क्रू के चंद्रमा तक भेजने का परीक्षण किया जा रहा है जिसमें वह चंद्रमा का चक्कर लगाकर लौट आएगा. हू ने बीबीसी कोबताया कि निश्चित रूप से दुनिया इसी दशक में लोगों को लंबे समय तक चंद्रमा पर रहते हुए देखेगी

रोवर करेंगे मदद

हू ने बताया कि 2030 से पहले ही वहां जाने वाले वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के रहने के जगह बन चुकी होगी. और उसके पास घूमने के लिए रोवर होंगे. और बहुत सारे रोवर उनके कार्यों में मदद करते हुए दिखाई देंगे. ये लगों वहां रहने के साथ-साथ बहुत सारे वैज्ञानिक प्रयोग और कार्य करेंगे.

ओरियॉन यान (Orion) तीन दिन मे ही चंद्रमा के आधे रास्ते की दूरी पार गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: NASA)

लंबे अभियानों की दिशा में पहला कदम

ओरियॉन पिछले सप्ताह ही पहली बार नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. अपने अभियान के तीसरे दिन तक ओरियॉन ने चंद्रमा तक की आधी दूरी तय कर ली थी. हार्वड इस अभियान को लंबे और गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए पहला कदम मानते हैं. उनका कहना है कि यह केवल अमेरिका के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक दिन है.

बार-बार भेजा जाएगा लोगों को

हार्वर्ड का कहना है, “हम चंद्रमा पर वापस जा रहे है. हम वहां संधारणीय कार्यक्रमों के लिए काम कर रहे हैं और यह यान लोगों को वहां ले जाएगा जिससे लोग वहां बार बार भेजे जा सकेंगे. यह अभियान नासा और उसके साझेदारों को तकनीकों और उत्पादों के परीक्षण की आदत डालने में मदद करेगा जो सौरमंडल के अन्वेषण और मंगल के लिए मानव अभियानों की तैयारी करने में मददगार होगा.

आर्टिमिस अभियान का मकसद चंद्रमा (Moon) पर मानव उपस्थिति से कहीं बढ़ कर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

अब लगेगा कम ईंधन

नासा का कहना है कि अब ओरियॉन चंद्रमा के गुरुत्व को महसूस करने लगा है. और उस पर उसका प्रभाव भी हावी होने लगा है और ईंधन की जरूरत कम होने लगी है. चंद्रमा के गुरुत्व की वजह से ही अब उसे आगे की दिशा प्रदान करने का किया जाएगा और वह डिस्टेंट रेट्रोग्रेड कक्षा में चला जाएगा. इस कक्षा में ईंधन की बहुत कम जरूरत पड़ती है.

नासा के इस आर्टिमिस अभियान में पहले चरण में ओरियॉन के परीक्षण के बाद इसी अभियान को क्रू सदस्यों के साथ दोहराया जाएगा जिसमें चंद्र यात्रियों के साथ इस अभियान का परीक्षण होगा जिसके सफल होने के बाद तीसरे चरण में पहली महिला और गैरश्वेत पुरुष को वहां भेजा जाएगा. लेकिन इन तीनों चरणों में ऐसे बहुत सारे प्रयोग और कार्य किए जाएंगे जिनमें सबसे प्राथमिकता चंद्रमा पर आवास विकसित करना होगा जिसमें वहां ना केवल लंबे समय तक रह कर वैज्ञानिक प्रयोग किए जा सकें, बल्कि मंगल सहित लंबे अभियानों के लिए एक बेस की तरह भी उपयोग किया जा सके.

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