पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल अंतिम दौर में है। इसी बीच उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र किया है, जिससे विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने दावा किया है कि युद्ध के दौरान केवल 34 हजार पाकिस्तान सैनिकों ने ही सरेंडर किया था। बाजवा का कहना है कि पाकिस्तान की सेना का बीते 6 सालों से कमांडर रहना उनके लिए गर्व की बात है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) जनरल बाजवा ने कहा, ‘पूर्वी पाकिस्तान का संकट सैन्य नहीं राजनीतिक असफलता थी। लड़ने वाले सैनिकों की संख्या 92 हजार नहीं, बल्कि 34 हजार ही थी। अन्य अलग-अलग सरकारी विभागों से थे।’
एजेंसी के अनुसार, पाकिस्तान टडे की रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने कहा कि ये 34 हजार लोग भारतीय सेना के ढाई लाख और 2 लाख प्रशिक्षित मुक्ति वाहिनी का सामना कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी बहादुरी से लड़े। बाजवा ने कहा कि इन बहादुर गाजियों और शहीदों की कुर्बानियों को देश ने अब तक नहीं माना, जो कि एक बड़ा अन्याय है।
क्या हुआ था 1971 युद्ध के दौरान?
16 दिसंबर 1971 को पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर और पाकिस्तानी सैन्य बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्लाह खान नियाजी ने समर्पण के दस्तावेजों पर दस्तखत किए थे। ठीक 50 साल दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण हुआ था। उस दौरान पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय बलों के सामने हथियार डाल दिए थे। इसके बाद नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ।
लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख नियुक्त
भाषा के अनुसार, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को बृहस्पतिवार को देश का नया सेना प्रमुख नियुक्त किया। इसके साथ ही तख्तापलट की आशंका वाले देश पाकिस्तान में इस शक्तिशाली पद पर नियुक्ति को लेकर काफी समय से जारी अटकलों पर विराम लग गया। पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में सेना का काफी दखल रहा है।