भविष्य की जंग बिल्कुल अलग तरह की होगी। शायद पारंपरिक युद्ध से बिल्कुल अलग, उसमें न इंसान की जरूरत होगी, न धरती की। स्पेस वॉर, साइबर, आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस जैसी चीजें अब बड़ा रोल प्ले करने वाली हैं। इसी दिशा में भारत की तैयारी शुरू हो गई है। धरती पर डॉग और आसमान में चील को ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। अर्जुन चील उसी दिशा में एक कदम है।
विश्व युद्ध के समय कबूतर लेटर पहुंचाने का काम किया करते थे, उससे पहले प्राचीन यूनान में ओलंपिक खेलों में ये जीतने की खबर पहुंचाते थे लेकिन आज वक्त बदल चुका है। आज के परिंदे सीधे तौर पर जंग के मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे ही एक परिंदे (Kite Arjun) की तस्वीर भारतीय सेना ने दिखाई है जिसने उत्तराखंड के औली में युद्धाभ्यास के दौरान दुश्मन के ड्रोन को मार गिराया। सेना की ओर से प्रशिक्षित किए गए चील ने पहले ड्रोन को टारगेट पर लिया और मौका मिलते ही पंजों से उस पर झपट्टा मार दिया। निशाना लगाने में माहिर इस चील का नाम भी अर्जुन रखा गया है। लेकिन इसकी बहादुरी का कारनामा यहीं तक सीमित नहीं है। ये आसमान की ऊंचाई को नापते हुए दुश्मन की हर गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। …कोई सरहद ना इन्हें रोके, उस गाने की तरह ये मस्तमौला पक्षी अपने पंखों को फैलाए आसमान से सब कुछ देख रहे होते हैं। ‘जंगल न्यूज’ में आइए जानते हैं भारत के इस जांबाज परिंदे के बारे में।
जंग का मैदान हो या किसी देश की सरहद, वहां की सेना अपनी सीमा से दुश्मन की नापाक हरकत का जवाब देने के लिए 24×7 सक्रिय रहती है। लेकिन इतने से ही काम नहीं चलता। सेना को पहले से निगरानी रखनी पड़ती है कि सीमा के उस पार दुश्मन की मूवमेंट क्या है। अब ये काम भारत का जांबाज परिंदा करेगा। अर्जुन नाम के इस चील पर छोटा सा कैमरा फिट किया जा सकता है और यह दुश्मन के इलाके में घुसकर वहां से लाइव तस्वीरें भेज सकता है। मेरठ की रीमाउंट वेटरिनरी कोर इस तरह कई चीलों को ट्रेंड कर चुकी है। ये चील सेना के ट्रेंड डॉग्स के साथ मिलकर एंटी ड्रोन सिस्टम का काम करेंगे। इसे यूं समझिए कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की तरफ बढ़ती दुनिया में यह एक अलग फौज है।
इनकी तैनाती भी जल्द शुरू की जा सकती है। पाकिस्तान से लगती पंजाब की सीमा में अक्सर ड्रोन से ड्रग्स भेजे जाने की खबरें हम पढ़ते रहते हैं। 24 घंटे पहले ही ऐसे एक ड्रोन को मार गिराया गया। पिछले साल जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक हुआ था। ड्रोन आसानी से लोगों के हाथों में पहुंच रहा है। ऐसे में सुरक्षा के लिए बढ़ते इस खतरे से निपटने के लिए जल्द ही भारत के दो जांबाज धरती से लेकर आसमान तक दुश्मन की ऐसी हरकतों पर नजर रखने के लिए मोर्चे पर आ जाएंगे। चील आसमान में उड़ता हुआ पल-पल की खबर लेता रहेगा और जमीन पर ट्रेंड डॉग एक टीम की तरह काम करते हुए ड्रोन का काम-तमाम कर देंगे।
आपको लगेगा कि कुत्ते और चील का क्या गठजोड़! दरअसल, कुत्ते के कान काफी तेज होते हैं और चील की आंखें। कुत्ते ऐसी आवाज भी सुन सकते हैं जो इंसान के लिए संभव नहीं है। सेना कुछ इस तरह से इस टीम को तैयार कर रही है कि जैसे ही दुश्मन का ड्रोन घुसेगा तो डॉग ऐक्टिव हो जाएगा और उसके इशारे पर टीम उसी दिशा में चील को रवाना कर देगी। आगे का काम चील संभाल लेगा। चील की खासियत यह है कि ये अपने मजबूत पंखों और पंजों से झपटते हैं।
चील और बाज में क्या अंतर है
कुछ लोग बाज और चील में भ्रमित होंगे तो जान लीजिए कि दोनों शिकारी पक्षी होते हैं लेकिन साइज कम ज्यादा होती है। Eagle यानी बाज तुलनात्मक रूप से काफी बड़ा और Kite यानी चील मध्यम आकार का पक्षी होता है।
1. चील भारत में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
2. करीब 2 फीट लंबी ये परिंदा स्वभाव से शिकारी होता है।
3. ये आसमान में काफी ऊंचाई पर उड़ते हुए नीचे की निगरानी कर सकता है।
4. ये बहुत तेज और फुर्तीला पक्षी होता है।