एनपीएस तीन अलग-अलग प्रकार के एग्जिट ऑप्शन देता है. पहला समय से पहले यानी 60 वर्ष की उम्र से पहले बाहर निकलने का ऑप्शन देता है. दूसरा जनरल एग्जिट यानी 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र में निकलने का ऑप्शन देता है और तीसरा किसी अकाउंट होल्डर की असमय मृत्यु हो जाने पर इससे निकलने की अनुमति देता है.
नई दिल्ली. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) को पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) संचालित करता है. यह रिटायरमेंट के बाद पेंशन मुहैया कराने वाली एक योजना है जिसमें कोई भी कर्मचारी स्वेच्छा से रजिस्टर कर सकता है. वहीं रिटायरमेंट के पहले ही इमरजेंसी में फंड की जरूरत पड़ने पर जमा राशि से 60 फीसदी अमाउंट को निकाल सकते हैं. हालांकि इसमें से 40 फीसदी राशि को पेंशन में डालना जरूरी है. आज हम यहां जानेंगे कि अगर कोई NPS से एग्जिट करना चाहे तो वह कैसे कर सकता है? इसके नियम और प्रोसेस के बारे में आगे बता रहे हैं.
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आपको बता दें कि एनपीएस तीन अलग-अलग प्रकार के एग्जिट ऑप्शन देता है. पहला समय से पहले यानी 60 वर्ष की उम्र से पहले बाहर निकलने का ऑप्शन देता है. दूसरा जनरल एग्जिट यानी 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र में निकलने का ऑप्शन देता है और तीसरा किसी अकाउंट होल्डर की असमय मृत्यु हो जाने पर इससे निकलने की अनुमति देता है.
NPS से एग्जिट करने के नियम
रिटायरमेंट के बाद 75 वर्ष की उम्र तक ग्राहक एनपीएस से Exit करने के लिए एकमुश्त राशि या वार्षिक निकासी यानी पेंशन का ऑप्शन चुन सकते हैं या दोनों को स्थगित भी कर सकते हैं. 75 वर्ष के बाद उन्हें इस योजना से एग्जिट करना पड़ता है. हालांकि इसका डिफ़ॉल्ट ऑप्शन जमा राशि के न्यूनतम 40 प्रतिशत की वार्षिक निकासी और शेष 60 प्रतिशत की एकमुश्त निकासी कर सकता है. वहीं ग्राहक के पास पूरी राशि की वार्षिक निकासी का ऑप्शन भी रहता है.
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NPS से एग्जिट करने का प्रोसेस
ग्राहक अब ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यम से NPS से एग्जिट कर सकते हैं. ऑनलाइन एग्जिट प्रोसेस करने के लिए ग्राहक अपनी रिक्वेस्ट को ओटीपी/ई-साइन की मदद से ऑनलाइन कर सकते हैं. PFRDA के मुताबिक, ऑनलाइन प्रोसेस में ग्राहक सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (CRA) सिस्टम में लॉग इन कर एग्जिट रिक्वेस्ट डाल सकेंगे. यहां उन्हें एग्जिट से जुड़ी डिटेल्स सबमिट करनी होती है. इसमें ग्राहक एकमुश्त या वार्षिक निकासी का ऑप्शन चुन सकते हैं. इसके लिए ग्राहक को फंड एलोकेशन, एन्युइटी सर्विस प्रोवाइडर (ASP), एन्युइटी स्कीम आदि की डिटेल्स देनी पड़ती है. इसके साथ ही KYC और अन्य डॉक्यूमेंट अपलोड करने होंगे. इसके बाद POP ‘इंस्टैंट बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन’ की मदद से ग्राहक बैंक अकाउंट नंबर और अपलोड किए गए डॉक्युमेंट्स को भी वेरिफाई करता है. इस रिक्वेस्ट को प्रोसेस करने के लिए ग्राहक को इसके चार्जेज भी देने होते हैं. ये चार्जेज टोटल फंड का 0.125 फीसदी रहता है, जो कम से कम 125 रुपये और अधिकतम 500 रुपये हो सकता है.