शयन यानि सोना हर मनुष्य के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है. पर्याप्त सोना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना गया है. पुराणों के अनुसार सही दिशा में नहीं सोना, व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है.
सोना जीवन का अनिवार्य हिस्सा है. दिन का करीब एक तिहाई समय व्यक्ति का सोने में बीतता है, पर कम ही लोग इस पर ध्यान देते हैं कि वे किस दिशा में सो रहे हैं. पुराणों से लेकर ज्योतिष व विभिन्न हिंदू शास्त्रों में सोते समय दिशा का ध्यान रखना बहुत जरूरी बताया गया है. मान्यता है कि गलत दिशा में शयन करने से व्यक्ति के सुख, संपति व आयु में कमी होती है. ऐसे में जरूरी है कि सोते समय दिशा का ध्यान जरूर रखा जाए. आज हम आपको शयन की उन्हीं शुभ व अशुभ दिशाओं के बारे में बताने जा रहे हैं.
सोने की सही दिशा
पंडित राचंद्र जोशी के अनुसार, शयन के नियमों के बारे में पद्म पुराण व के सहित कई शास्त्रों में बताया गया है. पद्म पुराण में लिखा है कि :-
उत्तरे पश्चिमे चैव न स्वपेद्धि कदाचन..
स्वप्रादायु: क्षयं याति ब्रह्महा पुरुषो भवेत.
न कुर्वीत तत: स्वप्रं शस्तं च पूर्व दक्षिणम..
इसी तरह विष्णु पुराण में लिखा है:-
प्राच्यां दिशि शिरश्शस्तं याम्यायामथ वा नृप.
सदैव स्वपत: पुंसो विपरीतं तु रोगदम..
यानि व्यक्ति को हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोना चाहिए. पश्चिम व उत्तर दिशा में मुंह करके नहीं सोना चाहिए. उत्तर व पश्चिम में सिर करके सोने से रोग बढऩे के साथ व्यक्ति की आयु कम होती है. आचारमयूख: में लिखा है कि पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या व दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन व आयु की वृद्धि होती है, जबकि पश्चिम में सिर करके सोने से चिंता व उत्तर की तरफ मुंह करके सोने से आयु में कमी होती है.
घर, ससुराल व विदेश में अलग- अलग नियम
पंडित जोशी के अनुसार, कुछ शास्त्रों में घर, ससुराल व विदेश में सोते समय दिशा के नियम अलग हैं. इस संबंध में आचारमयूख: में लिखा है:-
स्वगेहे प्राक्छिरा: सुप्याच्छ्वशुरे दक्षिणाशिरा:.
प्रत्यक्छिरा: प्रवासे तु नोदक्सुप्यात्कदाचन..
यानि अपने घर में सोते समय व्यक्ति को पूर्व, ससुराल में दक्षिण और विदेश में पश्चिम की तरफ सिर करके सोना चाहिए. इसी तरह मरणासन्न व्यक्ति का सिर उत्तर तथा मरने के बाद अंतिम संस्कार के समय दक्षिण में रखने का विधान है.