LPG Insurance Cover: एलपीजी इंश्योरेंस कवर केवल उन्हीं लोगों को मिलता है जिनके सिलेंडर का पाइप, चूल्हा और रेगुलेटर आईएसआई (ISI) मार्क के होते हैं. साथ ही सिलेंडर की एक्सपायरी डेट भी बाकी होनी चाहिए.
ये भी पढ़ें – कैश ट्रांजैक्शन के अलावा बैंक ATM से मिलती हैं ये सुविधाएं, क्या आपको है इसकी जानकारी?
नई दिल्ली. राजस्थान के जोधपुर जिले के भुंगरा गांव में गुरुवार दोपहर को एक शादी समारोह में 6 गैस सिलेंडर फटने (Gas Cylinder Blast) से कम-से-कम 8 लोगों की मौत हो गई. वहीं, हादसे में 61 लोग झुलस गए, जिनमें से कईयों की हालत गंभीर है. वैसे गैस सिलेंडर फटने से होने वाली यह कोई पहली दुर्घटना नहीं है. ऐसी घटनाएं पहले भी होती रहती है. क्या आपको पता है कि अगर आपके घर में रसोई गैस की वजह से कोई दुर्घटना होती है तो आप ऑयल कंपनी से नुकसान की भरपाई ले सकते हैं. बहुत कम लोगों को ही पता है कि रसोई गैस कनेक्शन लेते ही कनेक्शन लेने वाले का बीमा हो जाता है. इस पॅालिसी को एलपीजी इंश्योरेंस कवर (LPG Insurance Cover) कहते हैं.
एलपीजी इंश्योरेंस कवर में 50 लाख रुपए तक का बीमा होता है. यह गैस सिलेंडर की वजह से होने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घटना में जान-माल के नुकसान के लिए दिया जाता है. गैस कनेक्शन के लेते ही आपका 40 लाख रुपए का एक्सीडेंटल बीमा हो जाता है. इसके अलावा सिलेंडर फटने से किसी इंसान की मृत्यु होती है तो 50 लाख रुपए तक का क्लेम किया जा सकता है. हादसे में ग्राहक की प्रॉपर्टी/घर को नुकसान पहुंचता है तो प्रति एक्सीडेंट 2 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है. सिलेंडर जिसके नाम पर है सिर्फ उसी को इंश्योरेंस की राशि मिलती है. आप किसी को भी इस पॉलिसी में नॉमिनी नहीं बना सकते.
सिलेंडर लेते वक्त रखें इस बात का ध्यान
जब भी आप सिलेंडर लें तो इस बीमा कवर का लाभ लेने के लिए इस बात का ध्यान जरूर रखें की आपके सिलेंडर की एक्सपायरी डेट न बीत चुकी हो. आपको हमेशा एक्सपायरी डेट देखकर ही सिलेंडर लेना चाहिए. क्योंकि ये इंश्योरेंस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट से लिंक होता है. क्लेम का फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलता है जिनके सिलेंडर का पाइप, चूल्हा और रेगुलेटर आईएसआई (ISI) मार्क का होता है.
कैसे करें क्लेम
दुर्घटना के बाद क्लेम लेने का तरीका सरकारी वेबसाइट मायएलपीजी.इन (http://mylpg.in) पर दिया गया है. ग्राहक को दुर्घटना होने के 30 दिनों के अंदर अपने ड्रिस्ट्रीब्यूटर और पास के पुलिस को हादसे की सूचना देनी होती है. ग्राहक को पुलिस एफआईआर की कॅापी जरूर लेनी चाहिए. क्लेम के लिए पुलिस स्टेशन में रजिस्टर्ड FIR की कॉपी के साथ ही मेडिकल की रसीद, हॅास्पिटल का बिल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मृत्यु होने की स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट की जरुरत होती है. ग्राहक को बीमा कंपनी में सीधे क्लेम के लिए आवदेन करने या उससे संपर्क करने की जरूरत नहीं होती. क्लेम फाइल ऑयल कंपनी ही करती है.
ये भी पढ़ें– राजस्थान में फटा सिलेंडर-5 की मौत, ऐसे हादसों में उपभोक्ता के पास क्या हैं अधिकार, कितना मिलता है बीमा
कौन देगा क्लेम का पैसा
डिस्ट्रीब्यूटर ऑयल कंपनी और इंश्योरेंस कंपनी को हादसे की सूचना देता है. सिलेंडर के कारण एक्सीडेंट होने पर मिलने वाले इंश्योरेंस का पूरा खर्चा इंडियन ऑयल (Indian OIL), HPCL, BPCL जैसी तेल कंपनियां ही देती हैं.