तेलंगाना हाईकोर्ट ने बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच सीबीआई को सौंप दी है. इसके साथ ही केसीआर सरकार द्वारा इस मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी को भी रद्द कर दिया है.
हैदराबाद. तेलंगाना हाई कोर्ट (Telangana High Court) ने सोमवार को सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के चार विधायकों द्वारा दर्ज कराए गए खरीद-फरोख्त (MLA Poaching Case) के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर कर दिया. राज्य में के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली सरकार के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है. सत्तारूढ़ दल के विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के कथित प्रयास की जांच के लिए इस महीने की शुरुआत में तेलंगाना सरकार (Telangana Government) द्वारा गठित सात सदस्यीय एसआईटी को भी हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है.
भाजपा ने हाई कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
भाजपा नेता और अधिवक्ता राम चंद्र राव ने हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, ‘हाई कोर्ट ने बीआरएस विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है. हाईकोर्ट ने एसआईटी को भी खारिज कर दिया है. हम फैसले का स्वागत करते हैं.’ हालांकि राज्य सरकार कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है.
कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी
खरीद-फरोख्त के मामले में चार शिकायतकर्ताओं में से एक, बीआरएस विधायक रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि तीन व्यक्तियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी और बदले में विधायक को बीआरएस छोड़ने को कहा था. साथ ही अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की बात कही थी. तंदूर के एक विधायक रेड्डी और बीआरएस के तीन अन्य विधायकों ने 26 अक्टूबर को मामले के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज करवायी थी.
तेलंगाना पुलिस ने 7 लोगों को बनाया आरोपी
इसके बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी. दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, आरोपियों ने रेड्डी से भाजपा में शामिल होने के लिए प्रत्येक को 50 करोड़ रुपये की पेशकश करके बीआरएस के कुछ और विधायकों को लाने के लिए कहा था. पुलिस ने इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सचिव बीएल संतोष सहित 7 को आरोपी बनाया है.
BJP ने सीबीआई जांच के लिए खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
तेलंगाना बीजेपी ने मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई जांच की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. विधायक रेड्डी को बाद में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एक नोटिस दिया गया था, जिसके बाद बीआरएस विधायक दो बार एजेंसी के सामने पेश हुए. पिछले सोमवार को उन्होंने कहा कि ईडी के अधिकारियों ने उनसे उनके विवरण और बायोडाटा के बारे में पूछा लेकिन उन्हें यह नहीं बताया कि उन्होंने समन क्यों जारी किया.