देश में 23 दिसंबर 2022 तक बाजार में 32.42 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में थी. वहीं, नोटबंदी के अगले साल 6 जनवरी 2017 को करेंसी इन सर्कुलेशन घटकर 9 लाख करोड़ रुपये पर आ गई थी.
नई दिल्ली. 2016 में मार्केट में जितनी मुद्रा सर्कुलेशन (Currency in circulation) में थी आज उससे 83 फीसदी अधिक कैश मार्केट में सर्कुलेट हो रहा है. मनीकंट्रोल.कॉम की एक खबर के अनुसार, 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी (Demonetisation) की घोषणा हुई थी तब मार्केट में 17.74 लाख करोड़ रुपये कैश सर्कुलेट हो रहे थे. वहीं, 6 साल बाद यानी 23 दिसंबर 2022 तक बाजार में मौजूद कैश की वैल्यू 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गई है. नोटबंदी का सबसे करेंसी के सर्कुलेशन पर सर्वाधिक प्रभाव 2017 की जनवरी में देखने को मिला था जबकि इसकी वैल्यू लगभग 50 फीसदी घटकर 9 लाख करोड़ रुपये पर आ गई थी.
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नोटबंदी का सबसे बड़ा कारण काले धन पर लगाम लगाना था जो कि सरकार के मुताबिक बड़े नोटों की शक्ल में छुपाया गया था. हालांकि, नोटबंदी की एक और वजह थी- डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना. बेशक आज हम अपने चारों तरफ नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि डिजिटल लेनदेन कितना अधिक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गया है. बावजूद इसके कैश के सर्कुलेशन में गिरावट की बजाय और तेजी आ गई है.
2017 के मुकाबले स्थिति
2016 के मुकाबले आज करेंसी इन सर्कुलेशन अगर 83 फीसदी अधिक है तो 2017 के मुकाबले तो स्थिति और खराब है. 2017 की तुलना में आज जितना कैश सर्कुलेशन में है वह तब से 260 गुना अधिक है. 2016-17 के अंत (मार्च 2017) तक 9 लाख करोड़ रुपये से 74.3 गुना अधिक और जून 2017 तक 85 गुना अधिक कैश बाजार में आ गया था. नोटबंदी के साल को छोड़ दें तो उसके बाद हर साल सीआईसी में वृद्धि ही देखने को मिली.
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नोटबंदी के बाद कैसे बढ़ी सीआईसी
2018 में करेंसी इन सर्कुलेशन नोटबंदी के मुकाबले 37.67 फीसदी बढ़कर 18.03 लाख करोड़ रुपये हो गई. 2019 में ये 17.03 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ और फिर उसके अगले साल यानी 2020 में और 14.69 फीसदी बढ़कर 24.20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. 2021 में 31 मार्च तक ये 28.26 लाख करोड़ रुपये थी. वहीं, 2022 में 31 मार्च तक ये 31.05 लाख करोड़ रुपये हो गई.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
देश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने 2 जनवरी 2023 को दिए एक फैसले में कहा कि नोटबंदी में गलती नहीं की गई थी. कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने 4:1 के अनुपात में इसे सही ठहराया. यानी 5 में 4 जज इसके पक्ष में रहे जबकि 1 जज ने इसके खिलाफ में अपना मत दिया.