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दिग्गज पेमेंट ऐप PhonePe ने FDI नियमों का किया उल्लंघन, RTI में खुलासा

फोनपे (PhonePe) का भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग का प्लान है. लिस्टिंग से पहले, कंपनी के फंडिंग के बारे में सवाल उठते हैं कि क्या यह सरकार के PN3 गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है?

वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली दिग्गज पेमेंट ऐप फोनपे (PhonePe) ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट से अलग होने की घोषणा की है. ऐसे करने कंपनी का मकसद अपने भारतीय कारोबार के विस्तार के लिए फंड जुटाना है. हालांकि इसमें में एक समस्या है. PhonePe ने चाइनीज टेक दिग्गज Tencent से फंड जुटाया है. उसे अब फोनपे की सिंगापुर रजिस्टर्ड एंटिटी के शेयर खरीदने से पहले PN3 अप्रूवल लेना होगा.

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PhonePe एक भारतीय एंटिटी के रूप में रजिस्ट्रेशन करने का फैसला किया है. वॉलमार्ट ने फोनपे के मुख्यालय का भारत में शिफ्ट करने से उत्पन्न होने वाले टैक्स का भुगतान किया है. इसने 1 अरब डॉलर अज्यादा का टैक्स दिया है. PhonePe अभी भी UPI से परे एक बिजनेस बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है. कंपनी UPI में अग्रणी है, लेकिन उस ट्रैफिक को रेवेन्यू जरनेट करने में सक्षम नहीं है.

सरकार के गाइडलाइंस का किया उल्लंघन

फोनपे (PhonePe) का भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग का प्लान है. लिस्टिंग से पहले, कंपनी के फंडिंग के बारे में सवाल उठते हैं कि क्या यह सरकार के PN3 गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है? हाल ही में एक आरटीआई जवाब से पता चलता है कि भले ही PhonePe भारत में ट्रांसफर हो गया है, इसे पूरा कम्पलायंस सुनिश्चित करने के लिए PN3 अप्रूवल रूट से गुजरना पड़ेगा.

PN3 के गाइडलाइंस

एक नॉन-रेजिडेंट एंटिटी भारत में निवेश कर सकती है, FDI पॉलिसी के तहत उन सेक्टर्स और गतिविधियों को छोड़कर जो प्रतिबंधित हैं. हालांकि, एक देश की एक एंटिटी, जो भारत के साथ लैंड बॉर्डर साझा करती है या जहां भारत में निवेश का बेनिफिशियल ओनर है या ऐसे किसी भी देश का नागरिक है, केवल गवर्नमेंट रूट के तहत निवेश कर सकता है. इसके अलावा, पाकिस्तान का नागरिक या पाकिस्तान में बनी एक एंटिटी, केवल गवर्नमेंट रूट के तहत डिफेंस, स्पेस, परमाणु ऊर्जा और फॉरेन इन्वेस्टमेंट्स के लिए प्रतिबंधित सेक्टर्स/गतिविधियों को छोड़कर सेक्टर्स/गतिविधियों में निवेश कर सकती है. 

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पिछले साल, कंपनी ने 700 मिलियन डॉलर का फंडिंग राउंड पूरा किया था, जिसमें चीनी तकनीकी दिग्गज Tencent से 50 मिलियन डॉलर जुटाए थे. यह तब भी किया गया जब भारत सरकार ने 2020 में अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति समीक्षा (प्रेस नोट 3) के हिस्से के रूप में पड़ोसी देशों से फंड को  रेगुलेट करने के लिए सख्त दिशानिर्देश पेश किए.

उस समय, फोनपे ने संकेत दिया था कि कंपनी भारत में अपने ऑपरेशन में Tencent से मिले फंड का इस्तेमाल नहीं करेगा. सरकार ने भारत के साथ लैंड बॉर्डर साझा करने वाले देश पर एफडीआई प्रतिबंध लगाया है. रिपोर्ट के मुताबिक,PhonePe की फंडिंग तीन निवेशकों- वॉलमार्ट, Tencent और टाइगर ग्लोबल से हुई. वर्ष 2020 और 2021 में 350 मिलियन डॉलर की दो किश्तों में फंडिंग हुई. हालांकि, PhonePe सिंगापुर अब अपने शेयर भारत को बेच रहा है. इससे पता चलता है कि कंपनी भारतीय कानूनों को दरकिनार करना चाह रही है.

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