शर्मिष्ठा घोष ने ब्रिटिश काउंसिल की नौकरी छोड़कर ये स्टॉल लगाई थी. उनकी दोस्त इस काम में उनकी पार्टनर हैं और ये दोनों दिल्ली के कैंट इलाके में स्टॉल लगाते हैं. एक लिंक्डिन पोस्ट पर इनकी कहानी शेयर किए जाने के बाद काफी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
नई दिल्ली. भारत में उद्यमिता पिछले कुछ सालों में परवान चढ़ी है. कोविड-19 के दौर में लोगों ने देखा कि कैसे केवल एक नौकरी के भरोसे आप अपने आर्थिक भविष्य के लिए निश्चिंत होकर नहीं बैठ सकते. कई लोगों ने इसलिए कोई साइड बिजनेस शुरू किया तो कई लोगों ने बिजनेस को ही अपना प्रमुख पेशा बना लिया. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला शर्मिष्ठा घोष (Sharmistha Ghosh) की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने एक अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर चाय की दुकान खोल ली. आप सोच रहे होंगे इसमें नया क्या है, ये तो बहुत लोग करते हैं. लेकिन आप ऐसे कितने लोगों को जानते हैं जो इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर्स की डिग्री लेकर ब्रिटिश काउंसिल में नौकरी कर रहे हों और फिर अचानक नौकरी त्याग कर चाय की दुकान खोल लें.
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शर्मिष्ठा ने यह टी स्टॉल दिल्ली कैंट के गोपीनाथ बाजार में लगाया है. शर्मिष्ठा की कहानी को लिंक्डिन पर भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर संजय खन्ना ने शेयर किया. खन्ना ने अपनी पोस्ट में लिखा है, “जब मैंने उनसे (शर्मिष्ठा से) पूछा कि आपने ये फैसला क्यों लिया तो उन्होंने बताया कि वह इस टी-स्टॉल को चायोस (chaayos) जितना बड़ा बनाना चाहती हैं.” खन्ना ने ही अपनी पोस्ट में बताया कि शर्मिष्ठा ब्रिटिश काउंसिल की लाइब्रेरी में कार्यरत थीं लेकिन उन्होंने जॉब छोड़कर चाय की स्टॉल शुरू की. शर्मिष्ठा के साथ उनकी एक दोस्त भी इस स्टॉल में हिस्सेदार हैं जो कि पहले लुफ्थांसा एयरलाइन के लिए काम करती थीं.
कुछ ने की तारीफ
रिटायर्य ब्रिगेडियर खन्ना की पोस्ट पर एक लिंक्डिन यूजर ने लिखा, “मैं आपकी भावना से पूरी तरह सहमत हूं कि कोई जॉब छोटी या बड़ी नहीं होती है…शर्मिष्ठा और भावना राव (उनकी पार्टनर) की कहानी काफी प्रेरणादायक है और यह दिखाता है कि कठिन परिश्रम और लगन से कुछ भी संभव है.”
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लेकिन बहुतों ने की आलोचना
एक अन्य लिंक्डिन यूजर ने इस पोस्ट की आलोचना करते हुए लिखा, “मैं ये समझ नहीं पा रहा हूं…इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद इस तरह ठेला शुरू करने का क्या मतलब है…वह अपनी शिक्षा का इस्तेमाल टीचिंग में कर सकती हैं. हालांकि, उनका सपना एक फूड चेन ही खोलना था तो भी ठीक है लेकिन फिर उससे पहले पोस्ट-ग्रेजुएशन और फिर अच्छी नौकरियां क्यों की.” उन्होंने आगे लिखा कि आप (ब्रिगेडियर खन्ना) एक गैर-संगठित व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे हैं जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है. एक अन्य लिखा कि जिस महिला का परिवार उस पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं है वह ऐसा कर सकती हैं, लेकिन जिनका परिवार उन पर निर्भर है वे ऐसा नहीं कर पाएंगी.