शख्स की पहचान प्रीतम घोष के रूप में हुई है. घोष के जाली कॉल लेटर पर सवाल उठ रहे हैं, जो डब्ल्यूबीबीपीई द्वारा जारी किए गए असली कॉल लेटर से मिलते जुलते हैं. डब्ल्यूबीबीपीई के एक अधिकारी सौरव घोष को घोष की हरकतें संदिग्ध लगीं.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया आयाम सामने आया, जब एक युवक फर्जी कॉल लेटर के साथ प्राथमिक शिक्षक के साक्षात्कार के लिए उपस्थित हुआ. उसे हिरासत में लिया गया है. घटना शनिवार दोपहर की है. शख्स की पहचान प्रीतम घोष के रूप में हुई है. घोष के जाली कॉल लेटर पर सवाल उठ रहे हैं, जो डब्ल्यूबीबीपीई द्वारा जारी किए गए असली कॉल लेटर से मिलते जुलते हैं. डब्ल्यूबीबीपीई के एक अधिकारी सौरव घोष को घोष की हरकतें संदिग्ध लगीं.
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मीडिया से बात करते हुए सौरव घोष ने कहा, “जब उन्होंने इंटरव्यू कॉल लेटर सौंपा, तो मुझे शक हुआ, क्योंकि उस पर उम्मीदवार के हस्ताक्षर नहीं थे. फिर मैंने उन उम्मीदवारों की सूची को क्रॉस चेक किया, जिन्हें शनिवार को साक्षात्कार देना था. सूची में युवक प्रीतम घोष का नाम नहीं था.” इसके बाद सौरव घोष ने उम्मीदवार से परीक्षा के लिए अपना प्रवेशपत्र पेश करने के लिए कहा. उसने प्रवेशपत्र की एक फोटोकॉपी सौंपी और कहा कि मूल प्रति कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे उसके एक रिश्तेदार के पास है.
इस बीच, पुलिस को सूचित किया गया और दोनों – प्रीतम घोष और उनके रिश्तेदार को हिरासत में लिया गया. वहां रिश्तेदार ने पुलिस को बताया कि मूल एडमिट कार्ड एक अन्य रिश्तेदार के पास था, जो उसे वापस करने के लिए मोटी रकम की मांग कर रहा था. बाद में पुलिस ने दोनों रिश्तेदारों को हिरासत में ले लिया. फिलहाल उनसे पूछताछ की जा रही है.