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Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर न करें 7 गलतियां, व्रत होगा निष्फल, भगवान विष्णु भी हो जाएंगे नाराज

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Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी का व्रत आज 18 जनवरी को है. जो लोग षटतिला एकादशी का व्रत हैं, उन लोगों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे उनका व्रत निष्फल न हो.

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी का व्रत आज 18 जनवरी को है. आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप मिटते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो लोग षटतिला एकादशी का व्रत हैं, उन लोगों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे उनका व्रत निष्फल न हो. भूलवश कुछ कार्यों को करने से व्रत अपूर्ण हो जाता है. इससे बचना चाहिए. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि षटतिला एकादशी के दिन क्या-क्या काम नहीं करना चाहिए.

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षटतिला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
1. षटतिला एकादशी के नाम को देखें तो इसमें तिल आता है. इस व्रत में स्नान करने, भोजन बनाने, भगवान को भोग लगाने में तिल का उपयोग करते हैं. इससे दिन आपको तिल का उपयोग करना नहीं भूलना है.

2. षटतिला एकादशी पर स्नान ऐसे ही न कर लें. पानी में तिल डालकर स्नान करें. तिल के उबटन लगाएं. तिल का तेल लगा सकते हैं.

3. जो लोग षटतिला एकादशी पर दान नहीं करते हैं, उनको व्रत का पुण्य फल नहीं मिलता है. आज आप तिल का दान जरूर करें.

4. षटतिला एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चावल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से माना जाता है.

5. एकादशी व्रत में बैंगन का सेवन भी वर्जित होता है. इस दिन आपको जमीन पर सोना चाहिए.

6. एकादशी के दिन घर में झाड़ू लगाने की मनाही है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उससे कोई सूक्ष्म जीव न मरे.

7. षटतिला एकादशी व्रत रखने से पूर्व तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें.

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सभी व्रतों में श्रेष्ठ है एकादशी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि भगवान विष्णु के शरीर से ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रस्नन होकर अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं. उनको बैकुंठ में स्थान देते हैं. वह जीवात्मा जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.

क्यों सुनें एकादशी व्रत कथा
हर साल 14 एकादशी व्रत होते हैं. उनकी कथा भी अलग होती है. जब आप एकादशी व्रत की कथा सुनते हैं तो आपको उस एकादशी व्रत का महत्व पता चलता है और उसमें बताए गए नियम के अनुसार व्रत करते हैं, ताकि व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त हो और वह सफल हो.

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