म्यूचुअल फंड और यूलिप प्लान दोनों ही बाजार जोखिम के अधीन निवेश योजनाएं हैं. हालांकि रिस्क कवर, निवेश पर रिटर्न, लॉक-इन पीरियड और टैक्स बेनेफिट को लेकर यूलिप और म्यूचुअल फंड में अलग-अलग नियम व शर्तें हैं.
नई दिल्ली. बेहतर रिटर्न के लिए आजकल लोग बाजार जोखिम के अधीन निवेश योजनाओं में ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना पसंद करते हैं. इनमें म्यूचुअल फंड और यूलिप प्लान (Mutual Fund Vs ULIPs Plan) समेत कई विकल्प शामिल हैं. म्यूचुअल फंड और यूनिट लिंक्ड प्लान दोनों ही इन्वेस्टमेंट टूल लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं, लेकिन कई निवेशकों के मन में यह सवाल रहता है कि इनमें से कौन-सा विकल्प ज्यादा बेहतर है.
अगर आप म्यूचुअल फंड या यूलिप प्लान में निवेश करने की इच्छा रखते हैं और यह जानना चाहते हैं कि इन दोनों निवेश माध्यमों के क्या फायदे हैं, कितना रिस्क कवर, निवेश पर रिटर्न, लॉक-इन पीरियड और टैक्स बेनेफिट कितना मिलता है. आइये विस्तार से जानते हैं म्यूचुल फंड और यूलिप प्लान के बारे
में…
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म्यूचुअल फंड Vs यूलिप प्लान
म्यूचुअल फंड और यूलिप प्लान दोनों ही बाजार जोखिम के अधीन निवेश योजनाएं हैं. ये उन लोगों के लिए बेहद उपयुक्त हैं जो इक्विटी मार्केट में सीधे निवेश ना करके विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर काम करते हैं. दरअसल म्यूचुअल फंड में प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स ग्राहकों की पूंजी का निवेश डेट और इक्विटी फंडों में करते हैं. वहीं, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान या यूलिप इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश का एक हिस्सा इक्विटी शेयरों, बॉन्ड और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है, साथ ही इसमें इंश्योरेंस का फायदा भी मिलता है.
कौन-सा विकल्प ज्यादा बेहतर
यूलिप में इन्वेस्टमेंट के साथ इंश्योरेंस की सुरक्षा मिलती है. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर यूलिप प्लान में बीमित राशि का भुगतान नॉमिनी को किया जाता है. वहीं, दूसरी ओर म्यूचुअल फंड पूर्णतः निवेश योजना है, जिसमें निवेशक की मृत्यु के मामले में वे कोई जोखिम कवर नहीं मिलता है.
यूलिप और म्यूचुअल फंड दोनों ही मार्केट लिंक्ड रिटर्न देते हैं. हालांकि, यूलिप प्लान में प्रीमियम की पूरी राशि बाजार में निवेश नहीं की जाती है, इसका इंश्योरेंस कवर में चला जाता है, जबकि म्यूचुअल फंड में आपका सारा पैसा बाजार में निवेश किया जाता है. इसलिए म्यूचुअल फंड में रिटर्न ज्यादा मिल सकता है क्योंकि आपकी निवेश राशि अधिक है, लेकिन आपको लाइफ कवर नहीं मिलता है.
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निवेश के लिए फंड चुनने की आजादी
दोनों ही निवेश योजनाओं में रिटर्न आपके द्वारा चुने गए फंड के प्रकार पर निर्भर करेगा. यूलिप आपको फंड में इक्विटी और डेट मार्केट के बीच स्विच करने की सुविधा प्रदान करता है. वहीं, म्युचुअल फंड में आपको यह तय करना होगा कि किस प्रकार का फंड आपके लिए सही है – इक्विटी, डेट, हाइब्रिड आदि.
यूलिप एक इंश्योरेंस प्रोडक्ट है, इसलिए इसकी लॉक-इन अवधि 5 साल है, जबकि म्यूचुअल फंड पूरी तरह से लिक्विड इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जिनमें 3 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आने वाले ईएलएसएस फंड्स को छोड़कर कोई निश्चित लॉक-इन पीरियड नहीं है. हालांकि, दोनों प्रोडक्ट्स में लंबी अवधि के लिए निवेश करने की सलाह दी जाती है.
किस पर ज्यादा टैक्स बेनेफिट की सुविधा
जब बात टैक्स बचत की आती है तो यूलिप प्लान इस मामले में ज्यादा बेहतर होते हैं. आईटी अधिनियम की धारा 80 सी के तहत यूलिप में प्रारंभिक निवेश कर कटौती योग्य है, आपके द्वारा अर्जित रिटर्न टैक्स फ्री है और परिपक्वता राशि पर भी छूट है. हालांकि, अगर सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है तो आपको मिलने वाला रिटर्न अब टैक्स फ्री नहीं है.
वहीं, म्यूचुअल फंड को ईएलएसएस निवेश 80 सी के तहत कवर किया जाता है और 150,000 रुपये तक का निवेश कटौती योग्य होता है. हालांकि, एक वित्तीय वर्ष में 100,000 रुपये से अधिक रिटर्न के लिए एलटीसीजी 10% पर देय है. यूलिप और म्यूचुअल फंड के बीच अब आप अहम और बुनियादी अंतर को समझ चुके हैं इसलिए अपनी जरूरत के हिसाब से इन दोनों निवेश माध्यमों में से किसी भी में आप निवेश कर सकते हैं.