New Tax Regime : स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) वो कटौती है जिसे आयकरदाता की आय से काटकर अलग कर दिया जाता है और इसके बाद बची हुई आमदनी पर टैक्स की गणना की जाती है.
नई दिल्ली. इस बार बजट में टैक्सपैयर्स (Taxpayers) को बड़ी राहत दी गई है. वित्त मंत्री ने संसद में कहा कि अब 7 लाख से कम आय वालों को कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा. हालांकि, यह लाभ केवल नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को चुनने वालों को मिलेगा. वित्तमंत्री ने नए टैक्स रेजीम में इनकम टैक्स छूट की सीमा 7 लाख कर दी है, जो पहले 5 लाख रुपये थी. जबकि पुरानी टैक्स रिजिम के तहत 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री होती थी. हालांकि पुरानी टैक्स रिजिम में स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) और अन्य मदों में कई तरह की छूट का प्रावधान है. नई टैक्स रिजिम में ये लाभ नहीं दिए जाते थे. लेकिन इस बार नई टैक्स प्रणाली में स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी शामिल कर लिया गया है.
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स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए एक टैक्सपेयर 50,000 रुपये तक का दावा कर सकता है, जबकि 15.5 लाख रुपये या उससे अधिक की आय वाले प्रत्येक वेतनभोगी व्यक्ति को स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में 52,500 रुपये का लाभ होता है. नई कर व्यवस्था के तहत बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये कर दी गई है.
क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन?
स्टैंडर्ड डिडक्शन वो कटौती है जिसे आयकरदाता की आय से काटकर अलग कर दिया जाता है और इसके बाद बची हुई आमदनी पर टैक्स की गणना की जाती है. वेतनभोगी कर्मचारी और पेंशनर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिए टैक्स में छूट लेने की सुविधा पहले से मिल रही है. मान लीजिए कि किसी नौकरी करने वाले व्यक्ति की सालाना आय 8 लाख रुपये है. ऐसे में कुल पैकेज में 50,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिला तो उनके टैक्स की गणना 8 लाख की बजाय 7,50000 रुपये पर होगी.
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स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत वर्ष 2018 के बजट से हुई थी. पहले इसकी सीमा 40,000 रुपये थी जिसे अगले साल बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया. इसे शुरू करने का उद्देश्य कर्मचारियों को टैक्स छूट देकर उनके हाथ में ज्यादा पैसा देना है.
कौन उठा सकते हैं इसका लाभ
स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ वे वेतनभोगी कर्मचारी और पैंसनर्स उठा सकते हैं, जिन्होंने नए टैक्स नियमों का विकल्प नहीं चुना है. नए नियमों में कम टैक्स दर का प्रावधान है. इसके अलावा पेंशन लेने वाले पेंशनर्स भी इस कटौती को पाने के हकदार हैं. लेकिन फैमिली पैंशन पर स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं मिलता. इसका अर्थ यह हुआ कि अगर किसी कर्मचारी की मौत के बाद उसका कोई आश्रित पारिवारिक पेंशन ले रहा है, तो वह इस कटौती या छूट का हकदार नहीं है.
जॉब बदलने का नहीं असर
स्टैंडर्ड डिडक्शन छूट पर नौकरी बदलने का कोई असर नहीं होता. कुल सैलरी में यहां नियोक्ता द्वारा दी जानी वाली सैलरी के सभी कंपोनेंट और सभी अलांउसेज और पर्क के सारे टैक्सएबल भाग शामिल हैं. साल में अगर कोई कर्मचारी अपनी जॉब बदलता है तो भी वह स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ पाने का हकदार है.
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इनकम टैक्स स्लैब
इनकम टैक्स स्लैब की संख्या घटाकर 5 कर दी गई है. पर्सनल इनकम पर नए टैक्स स्लैब की घोषणा करते हुए सीतारमण ने कहा कि 3 से 6 लाख रुपये सालाना आय वालों को 5% टैक्स देना होगा. 6 से 9 लाख रुपये आय पर इनकम टैक्स की दर 10% होगी. 9 लाख रुपये से 12 लाख रुपये पर 15% टैक्स, 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये 20% और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स लगेगा.