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उत्तर प्रदेश

UP News: ‘रामचरितमानस’ की प्रतियां जलाने के मामले में दो आरोपियों पर रासुका लगाया गया

लखनऊ के ‘वृंदावन योजना’ सेक्टर में ‘सांकेतिक’ विरोध प्रदर्शन के दौरान ‘रामचरितमानस’ की फोटोकॉपी जलाने के आरोप में जेल में बंद दो लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है.

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लखनऊ के ‘वृंदावन योजना’ सेक्टर में ‘सांकेतिक’ विरोध प्रदर्शन के दौरान ‘रामचरितमानस’ की फोटोकॉपी जलाने के आरोप में जेल में बंद दो लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 29 जनवरी को यहां पीजीआई पुलिस थाने में दर्ज मामले के संबंध में जिलाधिकारी ने जेल में बंद मोहम्मद सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा के खिलाफ रासुका लगाया है. पुलिस के मुताबिक, 29 फरवरी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 142, 143, 153 ए, 295, 295 ए, 298, 504, 505, 506 और 120 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

पुलिस ने बताया था कि सतनाम सिंह लवी नामक व्यक्ति की शिकायत पर यहां पीजीआई थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें आरोप लगाया गया है कि श्री‘रामचरितमानस’ के पन्नों की छायाप्रतियां जलाने से शांति एवं सद्भाव को खतरा है. प्राथमिकी में समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा देवेंद्र प्रताप यादव, यशपाल सिंह, सत्येंद्र कुशवाहा, देवेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, नरेश सिंह, सुरेश सिंह यादव, संतोष वर्मा, मो. सलीम और अन्य अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है.

आरोपियों में से पांच – सत्येंद्र कुशवाहा, यशपाल सिंह लोधी, देवेंद्र प्रताप यादव, सुरेश सिंह और मोहम्मद सलीम को 30 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ‘अखिल भारतीय ओबीसी महासभा’ संगठन के कार्यकर्ताओं ने पिछले रविवार को कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले श्री‘रामचरितमानस’ के ‘पन्ने’ की छायाप्रतियां जलायी थीं. ‘अखिल भारतीय ओबीसी महासभा’ ने मौर्य के समर्थन में लखनऊ के ‘वृंदावन योजना’ सेक्टर में ‘सांकेतिक’ विरोध प्रदर्शन करते हुए श्री‘रामचरितमानस’ के पन्ने की छायाप्रतियां जलाई थीं.

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महासभा के पदाधिकारी देवेंद्र प्रताप यादव ने कहा, ‘‘जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में बताया गया है कि हमने श्री‘रामचरितमानस’ की प्रतियां जलाई हैं, यह कहना गलत है. ‘शूद्रों’ (दलितों) और महिलाओं के खिलाफ पुस्तक की आपत्तिजनक टिप्पणियों वाले पन्ने की फोटोकॉपी को सांकेतिक विरोध के तौर पर जलाया गया.’’ यह पूछे जाने पर कि उन्हें ऐसा विरोध दर्ज कराने के लिए किसने प्रेरित किया, इस पर यादव ने कहा, ‘‘स्वामी प्रसाद मौर्य ने पहले ही मांग की थी कि श्री‘रामचरितमानस’ में उल्लिखित आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटा दिया जाना चाहिए या उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए.

सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया. स्वामी प्रसाद मौर्य को हमारा समर्थन है और अखिल भारतीय ओबीसी महासभा उनके साथ खड़ी है.’’ अन्य पिछड़ा वर्गों के प्रमुख नेताओं में शुमार किये जाने वाले सपा के विधान परिषद सदस्य तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल में यह आरोप लगाकर एक विवाद खड़ा कर दिया कि श्री‘रामचरितमानस’ की कुछ चौपाइयों में जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का ‘‘अपमान’’ किया गया है. उन्होंने इन पर ‘‘प्रतिबंध’’ लगाने की मांग की. मौर्य राज्य में पिछली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने इस्तीफा देकर सपा का दामन थाम लिया था. उन्होंने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया.

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