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आपके लिए कितना फायदेमंद है नया टैक्स सिस्टम, क्या हैं New Tax Regime के साइड इफेक्ट

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। Budget 2023: कोविड के दौरान आए बजट के दो साल बाद इस बार का बजट करीब-करीब सामान्य बजट माना जाएगा। जब दुनिया महामारी से ग्रस्त थी, तब दुनियाभर के ज्यादातर देशों का लक्ष्य था कि वित्तीय स्थिति को बिना बहुत बिगाड़े, वो बस खर्च-खर्च-खर्च कर पाएं। कुछ देश इसमें सफल हुए, बहुत से नहीं हुए। पर हां, भारत जरूर सफल रहा।

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एक सामान्य बजट में हमेशा अपेक्षा की जाती है कि टैक्स को घटाया-बढ़ाया जाएगा। खासतौर पर एक बात पर मैं हमेशा ही सबसे ज्यादा फोकस करता हूं, और वो है टैक्स का बचत और निवेश पर असर। इसे लेकर ये बजट पिछले कई साल में सबसे ज्यादा भ्रमित करने वाला बजट रहा।

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हम तेजी से नए और आसान टैक्स सिस्टम (New Tax System) की तरफ बढ़ रहे हैं। बजट में कई प्रावधानों का मकसद है, पुरानी टैक्स प्रणाली के मुकाबले नई टैक्स प्रणाली (Old vs New Tax Regime) को ज्यादा लुभावना बनाना। साफ है कि ये तब तक चलता रहेगा, जब तक हम पुरानी टैक्स प्रणाली को देर-सबेर पूरी तरह से अलविदा नहीं कह देते।

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टैक्स रेट कम होंगे तो छूट भी कम होगी

बुनियादी तौर पर इसमें कुछ गलत नहीं। जो कोशिश, पुराने डायरेक्ट टैक्स कोड में एक दशक पहले फेल हो गई थी, नई टैक्स प्रणाली ने उसे अमलीजामा पहना दिया है। एक आसान सिस्टम, जिसमें टैक्स रेट कम होंगे और बहुत ही कम छूट होगी। ये बात सोच और अमल करने के स्तर पर अच्छी लगती है। असल में कोई भी छूट, सिस्टम को साधन संपन्न लोगों के पक्ष में कर देती है और वो जितना टैक्स चुकाना चाहिए, उससे कम टैक्स देते हैं। उससे भी बड़ी बात है कि एक समानांतर व्यवस्था, जिसमें दो सिस्टम कई साल साथ-साथ चलते रहते हैं, ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका होता है। हालांकि, लोगों की बचत और उनके निवेश की आदतों पर नए बदलावों का क्या असर होगा, इसे लेकर मैं काफी भ्रम में हूं।

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बचत पर कितना असर

सिद्धांत के तौर पर तो ये अच्छा है कि बिना छूट के प्रावधानों (Standard Deduction) के कम टैक्स दिया जाए। मगर इससे टैक्स देने वालों के लिए बचत करने का प्रोत्साहन कम रह जाता है। छूट अच्छी और बुरी दोनों होती हैं, पर छूट की वजह से बचत की आदत, बिना शक हमेशा अच्छी होती है। इस पर मेरी राय साफ है- नए वैकल्पिक टैक्स सिस्टम में बचत के फायदे कम कर देने से बचत कम की जाएगी, और जीवन में बाद के सालों में, ज्यादातर लोग तंगी का सामना करेंगे। टैक्स-बचत वाले निवेश न हों तो कई लोग खासतौर पर युवा और जिनकी आमदनी कम है, वो बिल्कुल बचत नहीं करेंगे।

निराश करने वाला साइड इफेक्ट

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हमारा समाज उपभोक्ता पर आधारित है और खर्च के लिए ही बनाया गया है न कि बचत के लिए। बचत करने पर मिलने वाली टैक्स की छूट असल में बचत से आगे की बात है। टैक्स की बचत तो एक शुरुआत होती है, जो बचत करने वालों को ज्यादा पैसे बचाने के लिए प्रेरित करती है। मैंने अपने जानने वाले युवाओं के साथ इसे अनगिनत बार होते हुए देखा है।

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आप इससे बचत की शुरुआत करते हैं और आपको अच्छे रिटर्न मिलते हैं क्योंकि इसमें लाक-इन पीरियड होता है। कई लोगों के लिए ये बचत और आर्थिक सुरक्षा की ऐसी आदत बन जाती है जो जिंदगी भर कायम रहती है। टैक्स बचाने वाले निवेशों को पूरी तरह खत्म कर देना नई टैक्स प्रणाली (New Tax Regime) का निराश करने वाला साइड इफेक्ट है और ऐसा साइड इफेक्ट जिस पर मेरी समझ से वित्तमंत्री जरूर ध्यान देंगी।

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