अपने 42 पेज के आदेश में जस्टिस बीरेन वैष्णव ने इसे ‘परेशान करने वाला कारक’ बताया. उन्होंने अपने 9 फरवरी के आदेश में कहा कि संपत्ति खरीदार को परेशान किया जा रहा है.
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गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए उस रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया, जिसमें हिंदू बहुल इलाके में मुस्लिम शख्स को दुकान बेचने की मंजूरी देने वाले आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी. इतना ही नहीं कोर्ट ने करीब दस याचिकाकर्ताओं और बिक्री के गवाहों पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. कोर्ट ने उनकी उन आपत्तियों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि ‘उन्हें बिक्री समझौते पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया.’
कोर्ट ने बताया परेशान करने वाला कारक
अपने 42 पेज के आदेश में जस्टिस बीरेन वैष्णव ने इसे ‘परेशान करने वाला कारक’ बताया. उन्होंने अपने 9 फरवरी के आदेश में कहा कि संपत्ति खरीदार को परेशान किया जा रहा है. क्योंकि उसने सफलतापूर्वक संपत्ति खरीदी और इसके उसे मालिकाना हक को लेकर परेशान और विफल किया जा रहा है.
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क्या है पूरा मामला
कोर्ट ने हाल ही में अपने इस फैसले को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था. इसमें याचिकाकर्ताओं ने 9 मार्च, 2020 को दिए हाईकोर्ट के फैसले को वापस लेने की मांग की गई थी. फैसला दुकान मालिक द्वारा जिला कलेक्टर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में आया. इसमें बिक्री की अनुमति को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि इस तरह की बिक्री बहुसंख्यक हिंदू और अल्पसंख्यक मुस्लिम संतुलन को प्रभावित कर सकती थी और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती थी.
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मगर मार्च 2020 में हाईकोर्ट ने कलेक्टर की इन सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये देखा जाना चाहिए कि क्या ब्रिकी उचित और स्वतंत्र सहमति की साथ हुई थी. अब सब रजिस्ट्रार द्वारा बिक्री को पंजीकृत करने के साथ ये मुद्दा एक बार सामने आया. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें बिक्री दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. मगर हाईकोर्ट ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया.