Digital Lending RBI: RBI ने कहा कि लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर (LSP) के रूप में भी काम करने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल कर्ज को चुकाने के लिए किया जा सकेगा. इतना ही नहीं, पेमेंट एग्रीगेटर्स को डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस का पालन करना होगा.
Digital Lending RBI: ऑनलाइन लोन लेने की सुविधा को लेकर केंद्रीय बैंक ने अब नए नियम जारी कर दिए हैं. नए नियमों के तहत पेमेंट एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल लोन चुकाने के लिए किया जा सकता है. RBI ने 14 फरवरी को ऑनलाइन लोन या डिजिटल लेंडिंग को लेकर नए नियम जारी किए. इन नियम के तहत RBI ने कहा कि लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर (LSP) के रूप में भी काम करने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल कर्ज को चुकाने के लिए किया जा सकेगा. इतना ही नहीं, पेमेंट एग्रीगेटर्स को डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस का पालन करना होगा. बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2022 में डिजिटल लेंडिंग को नियंत्रित करने के लिए कुछ नियम जारी किए थे. फ्रॉड और गैर कानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ये नियम जारी किए गए थे.
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नई गाइडलाइंस में कही ये बात
नए नियम के तहत सभी तरह के लोन डिस्बर्सल और रिपेमेंट कर्जदार के बैंक अकाउंट और रेगुलेटेड एंटिटी जैसे बैंक या NBFCs के बीच ही होनी जरूरी है और इस ट्रांजैक्शन में लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर या किसी थर्ड पार्टी का कोई अन्य या पूल अकाउंट शामिल नहीं होगा.
इसके अलावा RBI ने ये भी कहा कि प्रोसेस के दौरान, LSPs को दी जाने वाली कोई फीस या चार्जेज सीधे रेगुलेटेड एंटिटी की ओर से ही किए जाएंगे ना कि कर्जदार की ओर से. मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस को लेकर FAQs भी जारी किए.
रिकवरी एजेंट्स को लेकर कही ये बात
FAQs में रिकवरी एजेंट्स को लेकर कहा गया है कि लोन के सेंक्शन के समय कर्जदार को लोन डिफॉल्ट के मामले में उधारकर्ता से संपर्क करने के लिए अधिकृत सूचीबद्ध एजेंटों के नाम से अवगत कराया जा सकता है. इसके अलावा आरबीआई ने ये भी कहा कि डिफॉल्ट की स्थिति में रेगुलेटेड एंटिटी जैसे बैंक और NBFCs कैश में लोन को कवर करने के लिए फिजिकल इंटरफेस कर सकते हैं. हालांकि जब जरूरी होगा, तभी ये काम करना होगा.