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अब इनकम टैक्स भरना हुआ और आसान, नए ITR फॉर्म जारी, जानें किस फॉर्म में देनी होगी ‘डिजिटल एसेट’ की डिटेल

1 अप्रैल 2022 से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में ट्रांजेक्शन पर हुए प्रॉफिट पर टैक्स लगेगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस महीने की शुरुआत में आकलन वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्मों को अधिसूचित किया था.

नई दिल्ली. अगर आप आयकर दाता हैं और नौकरी या बिजनेस के अलावा डिजिटल एसेट (Virtual Digital Assets) व शेयर बाजार से भी कमाई करते हैं तो इसकी जानकारी आपको इनकम टैक्स विभाग को देनी होगी. पिछले वर्ष फाइनेंस एक्ट में शामिल किए गए प्रावधानों के चलते कुछ बदलाव किए गए हैं. इसलिए 1 अप्रैल 2022 से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में ट्रांजेक्शन पर हुए प्रॉफिट पर टैक्स लगेगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस महीने की शुरुआत में असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म्स को नोटिफाइड किया था.

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इन फॉर्म्स का उपयोग वित्तीय वर्ष 23 के दौरान अर्जित आय के लिए रिटर्न दाखिल करने के लिए किया जाना है, जो 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. सीबीडीटी ने एक बयान में कहा, “करदाताओं की सुविधा के लिए और दाखिल करने में आसानी के लिए पिछले साल के आईटीआर फॉर्म की तुलना में इन फॉर्म में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किया गया है.” आयकर अधिनियम, 1961 में संशोधनों के कारण आवश्यक न्यूनतम परिवर्तन ही किए गए हैं.”

ITR में दिया गया VDA शेड्यूल
अब आईटीआर फॉर्म्स में डिजिटल एसेट पर लगने वाले टैक्स की जानकारी देनी होगी. 1 जुलाई से क्रिप्टोकरेंसी और नॉन फंजिबल टोकेंस जैसे एसेट्स में 10 हजार रुपये के ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर 1 प्रतिशत टीडीएस कटेगा. टैक्स एक्सपर्ट विवेक जलान ने मनी कंट्रोल से कहा कि अब ITR2/ITR
3/ITR5/ITR6 में अलग से VDA शेड्यूल दिया गया है. इसमें वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली कमाई के बारे में बताना होगा. नए शेड्यूल के तहत वीडीए ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी भरनी होगी.

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वहीं, इक्विटी मार्केट यानी शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वालों को अतिरिक्त जानकारी देने की जरूरत पड़ सकती है. जालान ने कहा, “अब, जब शेयर ट्रेडिंग बिजनेस किया जाता है, पूरे व्यापार को इंट्रा-डे ट्रेडिंग और डिलीवरी-आधारित ट्रेडिंग में भी विभाजित किया जाना चाहिए और उसके अनुसार आईटीआर3/आईटीआर5/आईटीआर6 में इसकी जानकारी दी जानी चाहिए.”

बता दें कि बजट 2022 में ऐलान किया गया था कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की बिक्री/ट्रान्सफर
से होने वाली कमाई 30 फीसदी टैक्स के दायरे में आएगी. साथ ही वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रान्सफर के दौरान एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर 1 फीसदी टीडीएस लागू होगा.

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