Morbi Bridge Collapse: SIT ने शुरुआती जांच में पाया कि केबल पर लगभग आधे तारों पर जंग लगना और पुराने सस्पेंडर्स को नए के साथ वेल्डिंग करना उन कुछ प्रमुख खामियों में शामिल थे, जिसके कारण पुल हादसा हुआ.
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Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे की जांच के लिए गठित की गई SIT ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट दाखिल कर दी है. SIT ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किये हैं. एसआईटी ने शुरुआती जांच में पाया कि केबल पर लगभग आधे तारों पर जंग लगना और पुराने सस्पेंडर्स को नए के साथ वेल्डिंग करना उन कुछ प्रमुख खामियों में शामिल थे, जिसके कारण पुल हादसा हुआ. हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी
मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के पुल के संचालन और रखरखाव के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) जिम्मेदार था. पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को टूट गया था. एसआईटी ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां पाईं हैं. IAS अधिकारी राजकुमार बेनीवाल, IPS अधिकारी सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क एवं भवन विभाग के एक सचिव एवं मुख्य अभियंता और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर एसआईटी के सदस्य थे.
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SIT ने पाया कि मच्छू नदी पर 1887 में तत्कालीन शासकों द्वारा बनाए गए पुल के दो मुख्य केबल में से एक केबल में जंग की दिक्कत थी और हो सकता है कि इसके लगभग आधे तार 30 अक्टूबर की शाम को हादसे से ‘पहले ही टूट चुके’ हों. एसआईटी के अनुसार, नदी के ऊपर की ओर की मुख्य केबल टूट गई, जिससे यह हादसा हुआ. एसआईटी ने यह भी पाया कि नवीनीकरण के दौरान, ‘पुराने सस्पेंडर्स (स्टील की छड़ें जो केबल को प्लेटफॉर्म डेक से जोड़ती हैं) को नये सस्पेंडर्स के साथ वेल्ड कर दिया गया था. इसलिए स्पेंडर्स का व्यवहार बदल गया. इस प्रकार के पुलों में भार वहन करने के लिए एकल रॉड सस्पेंडर्स होने चाहिए.’
गौरतलब है कि मोरबी नगर पालिका ने सामान्य बोर्ड की मंजूरी के बिना ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) को पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका दिया था. उसने पुल को मार्च 2022 में नवीनीकरण के लिए बंद कर दिया था और 26 अक्टूबर को बिना किसी पूर्व अनुमोदन या निरीक्षण के इसे खोल दिया था. एसआईटी के अनुसार, पुल टूटने के समय पुल पर लगभग 300 व्यक्ति थे, यह संख्या पुल की भार वहन क्षमता से “कहीं अधिक” थी. हालांकि, इसने कहा कि पुल की वास्तविक क्षमता की पुष्टि प्रयोगशाला रिपोर्ट से होगी. मोरबी पुलिस ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित दस आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336, 337 और 338 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.
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