मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी राहत मिली है. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के फ्रंट पर बड़ी राहत मिलती नजर आई. उमा भारती ने पिछले लंबे समय से राज्य की अपनी ही शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था जिससे कई बार पार्टी और सरकार के लिए असहज स्थिति भी बन गई थी.
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मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा को सोमवार को राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के फ्रंट पर बड़ी राहत मिलती नजर आई. मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और फायर ब्रांड हिंदू नेता की छवि वाली उमा भारती ने पिछले लंबे समय से राज्य की अपनी ही शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था जिससे कई बार पार्टी और सरकार के लिए असहज स्थिति भी बन गई थी.
लेकिन शिवराज सरकार की शराब नीति से गदगद उमा भारती ने सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ करते हुए ट्वीट किया, मध्य प्रदेश मंत्रिपरिषद की कल सायंकाल हुई बैठक में हमारी सरकार के द्वारा घोषित की गई शराब नीति एक ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी निर्णय है, इसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मध्यप्रदेश के सभी नागरिकों खासकर के महिलाओं की तरफ से अभिनंदन.
शराब नीति के लिए मध्य प्रदेश को मॉडल स्टेट बताते हुए सिलसिलेवार कई ट्वीट कर उमा भारती ने कहा, शिवराज सिंह ने अपनी सरकार के इरादे स्पष्ट कर दिए कि जनहित हमारे लिए सर्वोपरि है. इस शराब नीति का यह बिंदु बहुत महत्वपूर्ण है कि जिन शराब की दुकानों के लिए भारी जन विरोध हुआ है उनकी नीलामी ही नहीं होगी.
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हालांकि मुख्यमंत्री द्वारा अपनी वचनबद्धता पूरी करने की बात कहने के साथ ही उमा भारती ने यह भी जोड़ा कि जब नई शराब नीति का क्रियान्वयन होगा तो सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को तथा पुलिस एवं प्रशासन को बहुत सजग रहना होगा.
आपको बता दें कि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के दस वर्षों के शासनकाल को खत्म कर 2003 में उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी लेकिन 2004 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और तब भाजपा ने पहले बाबूलाल गौर और फिर शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. भाजपा को राज्य में लगातार तीन बार (2003, 2008 और 2013) विधान सभा चुनावों में जीत हासिल हुई लेकिन 2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ मुख्यमंत्री बने. हालांकि कांग्रेस के दिग्गज नेता और राहुल गांधी के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण कमलनाथ सरकार गिर गई और 2020 में शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने.
राज्य में इसी वर्ष चुनाव होने हैं और भाजपा 2018 की तरह इस बार बहुमत हासिल करने से चूकना नहीं चाहती. पिछले महीने दिल्ली में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पार्टी नेताओं को अति आत्मविश्वास से बचने और एकजुट होकर काम करने की नसीहत दे चुके हैं.