गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा समूह को मोरबी झूला पुल हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 10 लाख रुपये और प्रत्येक घायल को दो लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया है.
ये भी पढ़ें– गुजरात के मोरबी में क्यों टूटा था पुल? SIT की शुरुआती रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे; 135 की गई थी जान
अहमदाबाद : पिछले साल 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में हुआ झूला पुल हादसा तो आपको याद ही होगा. इस पुल को मरम्मत कार्य के बाद आम जनता के लिए खोला गया था. लेकिन पुल बड़ी संख्या में दर्शक पहुंच गए और कई दर्शकों ने पुल के तारों को पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया था. अतिरिक्त दबाव में पुल टूट गया और हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस हादसे को सियासी रंग भी मिला. तमाम विपक्षी पार्टियों ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा था. घड़ी निर्माता कंपनी को पुल के मरम्मत और रखरखाव का ठेका दिए जाने को लेकर भी सवाल उठे थे. मामला अदालत तक भी पहुंचा और अब अदालत ने कंपनी को अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया है.
ये भी पढ़ें– गुजरात के पाटन में भीषण सड़क हादसा, जीप और ट्रक के बीच टक्कर, 7 लोगों की मौत
गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा समूह को मोरबी झूला पुल हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 10 लाख रुपये और प्रत्येक घायल को दो लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया है. इसी के साथ गुजरात हाईकोर्ट ने ओरेवा को चार हफ्तों के अंदर यह मुआवजा देने की निर्देश दिया है. इसी कंपनी के पास पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी थी.
मुख्य न्यायाधीश सोनिया गोकणी और न्यायमूर्ति संदीप भट्ट ने कंपनी को अंतरिम मुआवजा अदा करने का निर्देश दिया. अदालत ने आदेश दिया कि प्रत्येक घायल व्यक्ति को अंतरिम मुआवजे के रूप में दो लाख रुपये अदा किए जाएं. गौरतलब है कि राज्य के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर स्थित झूला पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को टूट गया था.
ये भी पढ़ें– गुजरात: हिंदू बहुल इलाके में मुस्लिम ने खरीदी दुकान, विरोध करने वालों पर लगा HC का जुर्माना
मोरबी झूला पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई और 56 अन्य घायल हो गये थे. मंगलवार को, ओरेवा समूह ने हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों और घायलों को अंतरिम मुआवजा के रूप में कुल पांच करोड़ रुपये अदा करने की हाईकोर्ट के समक्ष एक पेशकश की थी. हालांकि, अदालत ने कहा था कि कंपनी द्वारा पेशकश किया गया मुआवजा न्यायसंगत नहीं है.