चंडीगढ़. खालिस्तान समथर्क और सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह द्वारा भारत के खिलाफ विवादित बयान देने का सिलसिला अभी भी जारी है. अब उन्होंने कहा है कि पंजाब भारत का अभिन्न अंग ही नहीं है. वह यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि लाहौर और ननकाना साहिब के बिना पंजाब की तस्वीर नहीं बनती है. इससे पहले अमृतपाल ने कहा था कि वह अपने आपको भारतीय नहीं मानता है. एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में अमृतपाल ने कहा था कि भारतीय पासपोर्ट एक दस्तावेज है और इससे वह भारतीय नहीं बन जाता.
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उधर, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने बुधवार को डीजीपी को पत्र लिखकर अजनाला थाने में हुए हमले की जांच की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘अमृतपाल के साथी तुफान सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और बाद ने पुलिस ने ही उसे छाेड़ दिया. यहां सवाल उठता है कि क्या तुफान सिंह निर्दोष था?’ पत्र में राजा वड़िंग ने पंजाब का माहौल खराब होने की भी आशंका जाहिर की है. राजा वड़िंग ने कहा कि अमृतपाल के समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
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अमृतपाल सिंह के खुद को भारतीय न मानने के बयान पर पूर्व राजनयिक केसी सिंह ने कहा है कि कट्टरपंथी सिख उपदेशक और स्वयंभू अलगाववादी अमृतपाल सिंह को अपना पासपोर्ट सरेंडर कर देना चाहिए, क्योंकि अमृतपाल ने कहा था कि वह खुद को भारतीय नागरिक नहीं मानते हैं. सुनेहरा पंजाब पार्टी के प्रमुख केसी सिंह ने कहा कि अमृतपाल को शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) से एक स्टेटलेस व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान प्राप्त करनी चाहिए क्योंकि ‘खालिस्तान केवल उनके दिमाग में मौजूद है.’
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अमृतपाल पिछले साल भारत लौटने और सिख उपदेशक बनने से पहले दुबई में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम कर रहा था. उन्होंने अभिनेता-कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा स्थापित एक सामाजिक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला, जो पिछले साल फरवरी में एक दुर्घटना में मारे गए थे. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को कहा था कि खालिस्तान समर्थकों को पाकिस्तान और अन्य देशों से फंडिंग मिल रही है और राज्य पुलिस इस मुद्दे से निपटने में सक्षम है.