Moon to get its own time zone: एक ताजा रिपोर्ट की मानें तो चांद को जल्द ही अपना टाइम ज़ोन मिल सकता है. अंतरिक्ष अभियान चलाने वाले स्पेस ऑर्गनाइजेशंस चांद को अपना टाइम ज़ोन देने पर विचार कर रहे हैं.
Moon to get its own time zone: क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में समय क्या हो रहा है? चांद पर क्या टाइम हो रहा होगा? या फिर स्पेस में टाइम का पैमाना क्या होता है? ये काफी पेचीदा सवाल हो सकते हैं, जिसका गूढ़ वैज्ञानिक जवाब हो सकता है. लेकिन अगर आप भी चांद को निहारने वाले लोगों में से हैं और आपको ये जानने में दिलचस्पी हो सकती है कि चांद पर टाइम कैसे माप सकते हैं, तो स्पेस एजेंसियां ऐसा ही कुछ करने वाली हैं. अगर एक ताजा रिपोर्ट की मानें तो चांद को जल्द ही अपना टाइम ज़ोन मिल सकता है. अंतरिक्ष अभियान चलाने वाले स्पेस ऑर्गनाइजेशंस चांद को अपना टाइम ज़ोन देने पर विचार कर रहे हैं.
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चांद को मिलेगा अपना टाइम ज़ोन
news.sky.com की रिपोर्ट की मानें तो यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने कहा है कि आने वाले दशक में दर्जनों लूनर मिशन लॉन्च करने की तैयारी है, वहीं चांद पर बेस बनाने या फिर हैबिटाट शुरू करने पर काम हो रहा है, ऐसे में सारे स्पेस संगठन साथ में काम कर पाएं, इसके लिए एक टाइम ज़ोन लाने की बात हो रही है. सबसे पहले चर्चा नवंबर, 2022 में ESA के ESTEC technology centre में लूनर-टाइमकीपिंग की चर्चा शुरू हुई थी.
आखिर जरूरत क्यों है चांद के लिए अलग से टाइम ज़ोन लाने की?
ESA के नेविगेशन सिस्टम इंजीनियर Pietro Giordano ने बताया कि एक ऐसे निश्चित लूनर सिस्टम को लाने पर सहमति जताई गई, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी मिली हो और इसे व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. अभी तक चांद पर कोई भी मिशन होता था, उसका अपना टाइमस्केल होता था, जिसपर स्पेस एंटीना होते हैं, जो धरती के वक्त के साथ इसे सिंक रखते हैं. ग्राउंड कंट्रोलर्स इनकी मदद से वहां टाइम का अपडेट रखते हैं, लेकिन फिर भी स्पेस में मिशन को गाइडेंस और नेविगेशन के साथ-साथ सटीक को-ऑर्डिनेशन के लिए एक अलग से स्टैंडर्ड टाइम-कीपिंग की जरूरत महसूस होती है, इसलिए लूनर टाइम ज़ोन लाया जा सकता है.
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कैसे तय होगा टाइम ज़ोन?
लेकिन चांद पर अपना टाइम ज़ोन तय कैसे किया जाएगा, इसपर ESA ने कहा है कि अभी यह चर्चा का विषय है कि लूनर टाइम को सेट और मेंटेन करने के लिए क्या एक ही संगठन जिम्मेदार होगा, और क्या इसे स्वतंत्र तौर पर तय किया जाएगा या फिर इसे धरती के समय से ही सिंक किया जाएगा. यह तकनीकी विषय है, जिसमें थोड़ी समस्या आ सकती है.