यस बैंक में एसबीआई के लिए लॉक इन पीरियड 6 मार्च 2023 को खत्म होने जा रही है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, SBI यस बैंक में हमेशा के लिए अपनी हिस्सेदारी बनाये रखने के पक्ष में नहीं है.
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नई दिल्ली. साल 2020 में Yes Bank में गड़बड़ी की खबरों से यह बैंक दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया था. संकट के बीच RBI ने एक्शन लेते हुए यस बैंक के पुराने बोर्ड को भंग कर इसका टेकओवर कर लिया था. इसके बाद निवेशकों के कुछ शेयर डीमैट अकाउंट से अचानक गायब हो गए थे. दरअसल ये स्टॉक लॉक इन पीरियड में चले गए थे. अब 6 मार्च को ये लॉक इन अवधि खत्म होने वाली है. खबर है कि सबसे बड़ा हिस्सेदार एसबीआई यस बैंक में से अपनी हिस्सेदारी घटा सकता है.
यस बैंक को आर्थिक संकट से बचाने के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI की अहम भूमिका रही. RBI के एक्शन प्लान के बाद आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और एचडीएफसी बैंक ने पूंजी डालकर यस बैंक को डूबने से बचाया था.
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SBI हिस्सेदारी रखने के पक्ष में नहीं
अब खबर है कि यस बैंक को 2020 में बेलआउट करने वाला देश का सबसे बड़ी सरकारी बैंक एसबीआई यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटा सकता है. यस बैंक में एसबीआई के लिए लॉक इन पीरियड 6 मार्च 2023 को खत्म होने जा रही है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, SBI यस बैंक में हमेशा के लिए अपनी हिस्सेदारी बनाये रखने के पक्ष में नहीं है और अपना स्टैक कम करने पर विचार कर रहा है. हालांकि, इसके लिए एसबीआई को भारतीय रिजर्व बैंक से मंजूरी लेनी होगी.
उधर, यस बैंक के एमडी और सीईओ प्रशांत कुमार ने ईटी के साथ इंटरव्यू में कहा, “मैं एसबीआई की ओर से कुछ नहीं बोल सकता हूं, लेकिन मार्च की खबर को लेकर ज्यादा परेशान होने की कोई बात नहीं है..”2020 में जब यस बैंक को लेकर हाहाकार मचा हुआ था. उस वक्त एसबीआई ने बैंक में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था.
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31 दिसंबर 2022 को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार, एसबीआई के पास अब यस बैंक की 26.14 फीसदी हिस्सेदारी है. लेकिन यस बैंक के बेलआउट प्लान के मुताबिक पूंजी डालने की तारीख के 3 साल बाद तक एसबीआई 26 फीसदी से कम अपनी हिस्सेदारी नहीं घटा सकती है.