गाल शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा (माध्यमिक) में इतिहास के प्रश्नपत्र में महात्मा गांधी से जुड़े एक सवाल को लेकर विवाद छिड़ गया है। विवाद निबंध-प्रकार के प्रश्न पर है। मुख्य प्रश्न यह था कि क्या महात्मा गांधी ने हमेशा देश के मजदूर आंदोलन से खुद को अलग रखा?
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राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा (माध्यमिक) में इतिहास के प्रश्नपत्र में महात्मा गांधी से जुड़े एक सवाल को लेकर विवाद छिड़ गया है। विवाद निबंध-प्रकार के प्रश्न पर है। इसमें परीक्षार्थियों को राष्ट्रपिता पर आधारित एक प्रश्न से संबंधित तीन विकल्पों में से एक को चुनने और उस पर व्याख्यात्मक निबंध लिखने को कहा गया था।
मुख्य प्रश्न यह था कि क्या महात्मा गांधी ने हमेशा देश के मजदूर आंदोलन से खुद को अलग रखा? इस बाबत परीक्षार्थियों को तीन विकल्प दिए गए थे। पहला, महात्मा गांधी हमेशा मिल मालिकों की लाबी का प्रतिनिधित्व करते थे। दूसरा, महात्मा गांधी श्रम और पूंजी के बीच टकराव से बचना चाहते थे और तीसरा, महात्मा गांधी कानून-व्यवस्था की स्थिति पर आंदोलन के प्रभाव से चिंतित थे।
इतिहासकारों के एक वर्ग और विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह प्रश्न न केवल विवादास्पद है, बल्कि गलत सूचना का भी प्रसार भी करता है। ऑल बंगाल टीचर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, ‘माध्यमिक के पाठ्यक्रम में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि महात्मा गांधी ने स्वयं को मजदूर आंदोलन से अलग कर लिया था। यह स्पष्ट है कि जिस व्यक्ति ने इस प्रश्न का मसौदा तैयार किया था, उसके पाठ्यक्रम में कभी इतिहास नहीं था।’
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वहीं, इतिहासकार एके दास ने बताया कि महात्मा गांधी द्वारा संचालित प्रमुख और सफल आंदोलनों में से एक मार्च, 1918 में अहमदाबाद सत्याग्रह था। यह मूल रूप से अहमदाबाद के कपड़ा मिल मजदूरों का आंदोलन था, जिसमें उनके वेतन में 35 प्रतिशत वृद्धि की मांग के समर्थन में भूख हड़ताल की गई थी।
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इस तरह का प्रश्न इतिहास को विकृत करने जैसा है। दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का कहना है कि इस तरह के प्रश्न अलग शैली में पूछे जाते हैं ताकि छात्रों के बौद्धिक ज्ञान को मापा जा सके। बोर्ड ने आश्वासन दिया कि उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन के दौरान परीक्षार्थियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा और किसी भी स्थिति में उन्हें नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।